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National Herald Case ED Raids : नेशनल हेराल्ड दफ्तर पर ED के छापे, हाल में राहुल और सोनिया से हुई थी पूछताछ

National Herald Case ED raids इससे पहले ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी

Edited By: Niraj Kumar
Published : Aug 02, 2022 12:28 IST, Updated : Aug 02, 2022 13:29 IST
National Herald Case ED Raids
Image Source : INDIA TV National Herald Case ED Raids

Highlights

  • दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता में कुल 12 ठिकानों पर छापे
  • दस्तावेजों को खंगाल रही है ED की टीम
  • हाल में राहुल और सोनिया गांधी से हुई थी पूछताछ

National Herald Case ED Raids:  प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज दिल्ली स्थिति नेशनल हेराल्ड हाउस में छापे की कार्रवाई की। जानकारी के मुताबिक ईडी की टीम दस्तावेजों की तलाशी के क्रम में यहां छापे की कार्रवाई कर रही है। इससे पहले ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की थी।

जानकारी के मुताबिक इस मामले में कई अहम लोगों के यहां भी ईडी छापे की कार्रवाई कर सकती है। फिलहाल इस मामले में दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता में 12 ठिकानों पर ईडी की छापे की कार्रवाई चल रही है। बताया जाता है कि नेशनल हेराल्ड और उससे जुड़े दफ्तरों पर ED के छापे की कार्रवाई चल रही है। ED नेशनल हेराल्ड और उससे जुड़ी कंपनियों के अकाउंट्स खंगाल रही है।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

नेशनल हेराल्ड अखबार को साल 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने शुरू किया था। इस न्यूज पेपर को चलाने का जिम्मा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी के पास था। शुरुआत से इस कंपनी में कांग्रेस और गांधी परिवार के लोग हावी रहे। करीब 70 साल बाद 2008 में घाटे की वजह से इस न्यूज पेपर को बंद करना पड़ा तब कांग्रेस ने AJL को पार्टी फंड से बिना ब्याज का 90 करोड़ रुपये का लोन दिया। फिर सोनिया और राहुल गांधी ने 'यंग इंडियन' नाम से नई कंपनी बनाई। यंग इंडियन को एसोसिएटेड जर्नल्स को दिए लोन के बदले में कंपनी की 99 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है वहीं बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था।

जानें क्यों शुरू हुई ED की जांच

जिस नेशनल हेराल्ड केस की वजह से राहुल गांधी और सोनिया गांधी को ED के सवालों का सामना करना पड़ा, उसकी शुरुआत 10 साल पहले 2012 में हुई थी जब सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में स दर्ज कराया था। स्वामी ने आरोप लगाया था कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो एजेएल पर कांग्रेस का बकाया था।

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