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National Flag Day: तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में कैसे अपनाया गया? पंडित नेहरू ने संविधान सभा की बैठक में रखा था प्रस्ताव

भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को ही राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया था। संविधान सभा की बैठक की अध्यक्षता डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कर रहे थे।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: July 22, 2024 14:37 IST
National Flag Day- India TV Hindi
Image Source : FILE राष्ट्रीय ध्वज

नई दिल्ली: आज देश नेशनल फ्लैग डे यानी राष्ट्रीय ध्वज दिवस मना रहा है। 22 जुलाई 1947 को ही भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया था। यह एक ऐतिहासिक दिन था क्योंकि तिरंगे को अपनाना औपनिवेशिक शासन से मुक्त एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित होने की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

कैसे रखा गया तिरंगे का प्रस्ताव?

संविधान सभा की बैठक नई दिल्ली के संविधान हॉल में सुबह 10 बजे हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। संविधान सभा की बैठक 9 दिसंबर, 1946 से हो रही थी और तब तक कई विषयों पर चर्चा हो चुकी थी।

अध्यक्ष ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने ये घोषणा की कि एजेंडे में पहला प्रस्ताव पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा ध्वज के बारे में है। इसके बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए उठे और ये तय किया गया कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज में गहरे केसरिया (केसरी), सफेद और गहरे हरे रंग का समान अनुपात होगा। सफेद पट्टी के केंद्र में, चरखे का प्रतिनिधित्व करने के लिए नेवी ब्लू रंग में एक पहिया होगा। इस पहिये का व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग होगा। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात सामान्यतः 2:3 होगा। इसके बाद इस प्रस्ताव को अपना लिया गया।

नेहरू ने अपने भाषण में क्या कहा?

नेहरू ने कहा था कि वर्तमान क्षण में चमक और गर्मजोशी महसूस हो रही है। उन्होंने कहा था कि उन्हें और सदन में मौजूद अन्य लोगों को याद है कि उन्होंने इस झंडे को न केवल गर्व और उत्साह के साथ देखा था, बल्कि ये हमारी रगों का एक उबाल भी था। जब भी हम थोड़ा डाउन महसूस करते थे तो इस ध्वज को देखकर आगे बढ़ने का साहस मिलता था। इसके अलावा उन्होंने कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

नेहरू ने कहा था कि वर्तमान और भविष्य में हमें जबरदस्त समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उन्होंने तालियां बजाते हुए घोषणा की कि यह क्षण हमारे सभी संघर्षों की विजय और विजयी निष्कर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि उस महान और शक्तिशाली साम्राज्य ने, जिसने इस देश में साम्राज्यवादी प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व किया है, यहां अपने दिन ख़त्म करने का निर्णय लिया है। यही वह उद्देश्य था जिसका लक्ष्य हमने रखा था। हमने वह उद्देश्य प्राप्त कर लिया है। उन्होंने देश और दुनिया को भुखमरी, कपड़ों की कमी, जीवन की आवश्यकताओं की कमी और देश के हर एक इंसान, पुरुष, महिला और बच्चे के लिए विकास के अवसर की कमी से मुक्त करने की जरूरत की बात की, और घोषणा की कि हमारा लक्ष्य यही है।

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