राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India) के पास देश के सभी घटनाओं के रिकॉर्ड्स हैं। हालांकि राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) की यह जिम्मेदारी भी है कि वह देश के हर छोटी-बड़ी घटनाओं के दस्तावेजों को रखें और आपको ये दस्तावेज NAI के पास मिल भी जाएंगे। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आजाद भारत ने तीन युद्ध लड़े हैं और तीनों के रिकॉर्ड्स राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के पास नहीं है। राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने बताया कि भारत द्वारा लड़े गए 1962, 1965 और 1971 के युद्धों का कोई भी सबूत राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के पास मौजूद नहीं है। आपको बता दें कि इनमें से 1962 में भारत ने चीन से युद्ध लड़ा था, 1965 में पाकिस्तान से और 1971 भी पाकिस्तान से लड़कर बांग्लादेश को एक राष्ट्र का दर्जा दिलवाया था।
महानिदेशक चंदन सिन्हा ने बताया कि इन युद्ध के साथ-साथ राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के पास हरित क्रांति के भी रिकॉर्ड नहीं हैं, क्योंकि कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने अपने रिकॉर्ड राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के साथ शेयर नहीं किए हैं। उन्होंने बताया कि NAI केवल भारत सरकार और उसके संगठनों के रिकॉर्ड रखता है और उन्हें संरक्षित करता है।
सिर्फ 36 मंत्रालय और विभागों ने ही अपने दस्तावेज साझा किए
चंदन सिन्हा ने बताया कि सरकार में रिकॉर्ड को मैनेज करना ‘‘सुशासन का एक आवश्यक पहलू’’ है। ऐसे कई मंत्रालय हैं, जिन्होंने आजादी के बाद से NAI के साथ अपने रिकॉर्ड शेयर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कुल 151 मंत्रालय और विभाग हैं, लेकिन NAI के पास 36 मंत्रालयों और विभागों समेत सिर्फ 64 एजेंसियों का रिकॉर्ड है। सिन्हा ने कहा, ‘‘इसका क्या मतलब है। इसका मतलब है कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में हरित क्रांति का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसकी हम हमेशा जय-जयकार करते हैं। 1962, 1965 और 1971 के युद्ध का भी रिकॉर्ड नहीं है।’’
"हम आजादी के बाद से अपने इतिहास के एक बड़े हिस्से को खो रहे हैं"
राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के महानिदेशक चंदन सिन्हा ने कहा, 'मुझे दुख होता है कि हमारे पास ऐसे कई रिकॉर्ड्स नहीं हैं जो होने चाहिए। हम आजादी के बाद से अपने इतिहास के एक बड़े हिस्से को खो रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने आजादी के बाद इस साल की शुरुआत तक 476 फाइल भेजी थीं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1960 तक की 20,000 फाइल को इस साल ट्रांसफर किया गया है। सिन्हा ने कहा कि रिकॉर्ड के लिए फाइलों की रिकॉर्डिंग और छंटाई के लिए एक विशेष अभियान की प्रतीक्षा करने के बजाय, यह हर तीन महीने में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभिलेखों का मूल्यांकन और NAI को ट्रांसफर के लिए उनका रिव्यू करना तथा उनकी पहचान करना शासन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है।