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NASA की पूर्व वैज्ञानिक ने बताया Aditya-L1 का क्या है मतलब, चंद्रमा के बाद अब सूर्य की है बारी

चंद्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो अब सूर्य के अध्ययन के लिए अपना मिशन भेजने वाला है। सूर्य का अध्ययन करने वाले Aditya L1 मिशन को 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा।

Written By: Avinash Rai
Published : Aug 28, 2023 22:08 IST, Updated : Aug 28, 2023 22:27 IST
NASA former scientist Mila Mitra told what is the meaning of Aditya-L1 Launching
Image Source : ANI नासा की पूर्व वैज्ञानिक मिला मित्रा

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान 3 मिशन को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लैंड करा दिया है। इस बीच अब इसरो जल्द ही Aditya-L1 को लॉन्च करने वाला है। इस बारे में बोलते हुए नासा की पूर्व वैज्ञानिक मिला मित्रा ने कहा कि इसरो का अगला मिशन आदित्य-एल1 है। आदित्य का अर्थ ही सूर्य है। इसलिए यह मिशन का काम सूर्य का निरीक्षण करना है। उन्होंने कहा, "एल-1 शब्द लैग्रैन्जियन है। बहुत सारे लैग्रैन्जियन बिंदु हैं जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की रेखा पर हैं। एल-1 भी पृथ्वी और सूर्य के बीच की रेखा है। यह बिंदु बहुत स्थिर है, क्योंकि सूर्य का गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण दोनों उस बिंदु पर पहुंचते हैं।"

आदित्य एल-1 मिशन के लॉन्चिंग की तैयारी

बता दें कि इसरो अब Aditya-L1 को लॉन्च करने वाला है। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष आधारित भारतीय वेधशाला है, जो सूर्य का अध्ययन करने का काम करेगा। इसरो द्वारा Aditya-L1 उपग्रह को 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह लॉन्च श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जाएगा। बता दें कि इस Aditya-L1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचने कमें कुल 128 दिन का वक्त लगने वाला है। सूर्य की कक्षा में पहुंचने के बाद Aditya-L1 सूर्य का अध्ययन करेगा और उसकी जानकारियों को जुटाएगा। 

15 लाख किमी का होगा सफर

आदित्य एल 1 सूरज पर निगरानी रखने के लिए धरती से स्पेस में भेजे जाने वाला पहला इंडियन स्पेस मिशन होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक मिशन के तहत अलग-अलग तरह के डेटा को जुटाया जाएगा। साथ ही ऐसी व्यवस्था बनाई जा सकेगी जिससे धरती को होने वाले नुकसान के बारे में पहले से ही अलर्ट किया जा सकेगा। आईयूसीएए के वैज्ञानिकों और मुख्य इंवेस्टिगेटर प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने पीटीआई भाषा से बात करते हुए बताया कि इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल 1 है, जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक का सफर कर जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा।

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