Highlights
- शहर के नाम बदलने की दूसरी लहर चली
- 1969 में मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया
- मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया
Kartavya Path: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि हमने एक गुलामी की निशानी को खत्म कर दिया है। आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर किस नियम के तहत किसी सड़क और शहर का नाम बदला जा सकता है। अबतक किन-किन जगहों के नाम आजादी के बाद बदल दिए गए हैं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी सड़क का नाम बदला गया हो। आजादी के बाद से ही शहरों के नाम बदले जा रहे हैं। 2014 आने के बाद बीजेपी ने भी कई सड़कों और शहरों के नाम बदले हैं। यूपी में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया। अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया। राजपथ से पहले इस सड़क का नाम पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। इस सड़क की लंबाई तकरीबन 3 किलोमीटर है। जो राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक सीधे है।
यह विभाग लेता है फैसला
अब अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि नाम कैसे बदलते हैं तो चलिए आपको हम बताते हैं। किसी शहर गांव गली का नाम बदलने के लिए गृह मंत्रालय का एक गाइडलाइन होता है। गृह मंत्रालय के गाइडलाइन में बताया गया है कि नाम बदलने से पहले स्थानीय लोगों के भावनाओं को सम्मान करना होगा, ध्यान रखना होगा कि लोगों के भावनाओं को कोई ठेस ना पहुंचे। इसके बाद इसमें भूमिका वहां के स्थानीय नगर निगम या नगर पालिका का होता है। उदाहरण के तौर पर समझे कि अगर राजपथ का नाम बदल कर कर्तव्य पथ किया गया है तो इसका निर्णय दिल्ली नगर निगम ने लिया होगा। अगर सभी गाइडलाइन के अनुसार फिट बैठता है तो किसी सड़क का नाम बदल दिया जाता है। वही किसी राज्य का नाम बदलने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करानी होती है।
दिल्ली में बदलें गए सड़कों के नाम
अब राजपथ को बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया वहीं कर्जन रोड को बदलकर कस्तूरबा रोड कर दिया गया। रेस कोर्स का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया। औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। इसके अलावा डलहौजी रोड को बदलकर शिकोह रोड कर दिया गया। आपको बता दें कि नाम बदलने की पंरपरा भारत की आजादी के साथ ही शुरुआत हुई। नई दिल्ली में किंग्सवे जैसी सड़कों, जहां गणतंत्र दिवस परेड आयोजित की जाती है। इन दोनों का नाम बदलकर राज पथ और क्वींसवे का नाम बदलकर जनपथ कर दिया गया था। हालांकि ये अब कर्तव्य पथ हो गया है। शहर के बीचोबीच स्थित कर्जन रोड का नाम बदलकर कस्तूरबा गांधी मार्ग कर दिया गया।
आजादी के बाद कुछ बड़े शहरों के नाम बदलें
1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश ने सातवें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से मौजूदा राज्यों के नाम बदलने सहित भाषाई राज्यों का निर्माण किया। केरल त्रावणकोर-कोचीन और आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर बनाए गए नए राज्यों में से एक था। आने वाले वर्षों में 1969 में मद्रास राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु कर दिया गया और मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया। आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों में शहरों के नाम बदले गए जो हिंदी या भारतीय भाषाओं मिलती जुलती थी। ब्रिटिश वर्तनी के कारण लोगों को नाम लिखने और बोलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसके साथ ही एक तरह से गुलामी के प्रतिक चिंह थे। कान्हपुर कानपुर बन गया और जुबलपुर जबलपुर बन गया।
मुंबई से लेकर चेन्नई के बदलें नाम
1980 और 90 के दशक में सड़कों के नाम और शहर के नाम बदलने की दूसरी लहर चली। ज्यादातर मामलों में प्रमुख शहरों के नामों को संबंधित स्थानीय परंपराओं और भाषाओं में प्रचलित नामों को पुन प्राप्त करने का प्रयास किया गया था। महाराष्ट्र विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी )-शिवसेना सरकार ने मुंबई के पक्ष में अधिक अंग्रेजी वाले बॉम्बे को खारिज कर दिया। तमिलनाडु में द्रविड़ दलों ने मद्रास का प्रयोग करना बंद कर दिया ताकि उनकी राजधानी को सार्वभौमिक रूप से चेन्नई के तमिल नाम से पुकारा जा सके।
कुछ नाम बदलना हुआ विफल
इसी तरह कलकत्ता कोलकाता बन गया। बड़ौदा वडोदरा बन गया, त्रिवेंद्रम वापस तिरुवनंतपुरम हो गया, कालीकट अब कोझीकोड था, तूतीकोरिन फिर से थूथुकुडी था और उधगमंडलम जिसे हिल स्टेशन ऊटाकामुंड, या ऊटी कहा जाता है। हालांकि नामकरण के सभी प्रयास सफल नहीं हुए हैं। यदि कांग्रेस में उत्सुक पार्टी कार्यकर्ताओं ने नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) को कनॉट प्लेस क्षेत्र का नाम राजीव चौक और इंदिरा चौक के रूप में दिवंगत नेताओं के नाम पर रखने के लिए कहा, तो दिल्ली के लोग लैंडमार्क को उसके मूल नाम से पुकारते रहे। इसी तरह शहर की प्रतिष्ठित पार्क स्ट्रीट का नाम बदलकर मदर टेरेसा सारणी करने के तृणमूल कांग्रेस के प्रयास काफी हद तक विफल रहे हैं।