Friday, November 22, 2024
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‘कभी गांव नहीं लौटूंगी, जान का खतरा लगता है’, जानें मुजफ्फरनगर गैंगरेप पीड़िता ने और क्या कहा

न्याय के लिए अपनी 10 साल की लड़ाई को याद करते हुए पीड़िता ने कहा कि दोषियों के वकीलों ने उसके चरित्र पर सवाल उठाए और उसे अपमानित किया।

Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published on: May 12, 2023 11:27 IST
मुजफ्फरनगर में हुए...- India TV Hindi
Image Source : FILE मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद हजारों लोग विस्थापित हो गए थे।

नई दिल्ली: मुजफ्फरनगर गैंगरेप पीड़िता का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश के इस जिले में स्थित अपने गांव कभी नहीं लौटेगी क्योंकि उसे खुद की और अपने बच्चों की जान को लेकर डर बना रहता है। मुजफ्फरनगर जिले की एक अदालत ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान पीड़ता से गैंगरेप के जुर्म में मंगलवार को 2 व्यक्तियों को 20 साल की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने दोषियों महेशवीर और सिकंदर पर 15,000-15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। पीड़िता ने कहा, ‘वे सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उनका परिवार अब भी हमें डराता और धमकाता है। मैं कभी वापस नहीं लौटूंगी। मुझे खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए डर बना हुआ है।’

‘मैं भटक गई और मुझे पकड़ लिया गया’

अपने वकीलों से घिरी पीड़िता ने उस मनहूस दिन को याद किया जब वह अपने काम में व्यस्त थी, लेकिन एक मुस्लिम व्यक्ति और एक हिंदू लड़की के बीच हुई घटना को लेकर जाटों में गुस्सा होने की खबरों के बाद तनाव साफ नजर आ रहा था। जल्द ही उसने सुना कि हिंसा शुरू हो गई हैं और उसे गांव छोड़ने के लिए कहा गया। उसने कहा, ‘उस दिन मैंने कभी नहीं लौटने के इरादे से उस जगह को छोड़ दिया। मैं अपने दो बच्चों के साथ वहां से निकल गई। मैं खेतों से होते हुए भाग रही थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे कहां जाना है। मैं भटक गई और मुझे पकड़ लिया गया।’

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Image Source : FILE
मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी।

‘बच्चे को मारने की धमकी देकर रेप किया’
पीड़िता ने कहा, 'इसके बाद उन लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया। जब मेरा बलात्कार हो रहा था तब मेरा 3 महीने का बच्चा मेरे पास ही था और वे मुझसे कह रहे थे कि मैं उनका साथ दूं नहीं तो वे मेरे बच्चे मार देंगे।' न्याय के लिए अपनी 10 साल की लड़ाई को याद करते हुए पीड़िता ने कहा कि दोषियों के वकीलों ने उसके चरित्र पर सवाल उठाए और उसे अपमानित किया। उसने कहा, ‘बीते दशक में दोषियों के वकीलों ने मेरे चरित्र पर सवाल उठाए। मेरे पति से पूछा कि कहीं मैं उनकी रखैल तो नहीं हूं। वे चाहते थे कि मैं मामला वापस ले लूं लेकिन मैं हर कीमत पर न्याय चाहती थी।'

‘7 में से 6 पीड़िताएं मामले से पीछे हट गईं’
पीड़िता ने कहा कि उसमें अपराध की रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं थी। उसने कहा कि हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने उससे और 6 अन्य बलात्कार पीड़िताओं से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें सीनियर वकील वृंदा ग्रोवर से मिलवाया और उन्होंने ही उनका मुकदमा लड़ा। अनहद (एक्ट नाउ फॉर हारमनी एंड डेमोक्रेसी) की न्यासी हाशमी ने कहा, ‘7 बलात्कार पीड़िताओं में से 6 पीछे हट गईं लेकिन वह दृढ़ता से डटी रही और आखिरकार इस लंबी लड़ाई के बाद उसे न्याय मिला।’

‘कोई वकील मुकदमा लड़ने को तैयार नहीं था’
पीड़िता ने दावा किया कि ग्रोवर से पहले कोई वकील उसका मुकदमा लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ था। बातचीत के दौरान वहां मौजूद ग्रोवर ने कहा कि 10 साल की इस कानूनी लड़ाई में घटना और पीड़िता के चरित्र को लेकर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने कहा, ‘दोषियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। यह भी हो सकता है कि दोनों फैसले के खिलाफ अपील दायर करें। यह उनका अधिकार है लेकिन वे जीत नहीं पाएंगे क्योंकि हमारा मामला बेहद मजबूत है।’

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