नई दिल्ली: जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल में एक जनसभा में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया है तब से देश में इसकी चर्चा ने उफान पकड़ लिया है। कई लोग व संगठन UCC का विरोध कर रहे हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि UCC का स्वरुप क्या होगा, लेकिन इसके बावजूद भी लोग इसका विरोश कर रहे हैं। इसी क्रम में आज शुक्रवार को दिल्ली में कई मुस्लिम संगठनों ने एक बैठक की।
शरीयत एक्ट मुसलमानों की धार्मिक पहचान से जुड़ा
इस बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया। इस बयान में कहा गया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ की बुनियाद शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 है। यह सीधा देश के मुसलमानों की धार्मिक पहचान से जुड़ा हुआ है। मुस्लिम संगठनों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस एक्ट में बनाए गए सभी रूल कुरान शरीफ की आयत और हदीस से साबित हैं, इसलिए तमाम मुस्लिम संगठन भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ को प्रभावित करने वाले यूनिफॉर्म सिविल कोड का इरादा त्याग दे।
'मुसलमान इस कानून का विरोध करें'
देश के सभी बड़े मुस्लिम संगठनों की इस बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि जो धार्मिक आजादी देश के संविधान में दी गई है, सरकार उसका सम्मान करे। इसके अलावा मुस्लिम संगठनों ने मुसलमानों से अपील की है कि वह 14 जुलाई से पहले ज्यादा से ज्यादा लॉ कमीशन को अपनी आपत्ति वाली राय भेजें और यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करें।
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