Highlights
- 1980 के दशक तक कश्मीर में लगभग 15 सिनेमाघर थे
- पहला सिनेमा हॉल अनंत सिंह गौरी ने 1932 में लाल चौक में बनाया था
- एक व्यक्ति की मौत हो गई
Film Theater in kashmir: जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिंहा ने मंगलवार को श्रीनगर शहर में मल्टिप्लेक्स का उद्धघाटन किया। ये थिएटर शहर के शिवपोरा के बदामी बाग छावनी के पास है। इस मल्टिप्लेक्स में आमिर खान की हाल ही में रिलीज हुई लाल सिंह चड्डा मूवी को दिखाई गई। इस थीएटर में लगभग 520 लोगों की बैठने की सिंटिग है।
इस मल्टिप्लेक्स के मालिक कश्मीरी पंडित विकास धर ने बताया कि "हमारे लिए यह एक बड़ा सपना है, जो सच हो गया है। उन्होंने कहा कि रेगुलर शो 30 सिंतबर शुरू हो जाएंगे।" फिल्म थिएटर के साथ ही कश्मीरियों के लिए नई रोशनी दिखी है। अब कश्मीर के युवा कोई भी मूवी फर्स्ट डे फर्स्ट शो देख सकते हैं। कई अर्से बाद सपने सच हो गए हैं।
क्या कश्मीर में कोई सिनेमाघर नहीं था?
भारत का पहला मल्टीप्लेक्स 1997 में देश की राजधानी दिल्ली में खुला था। ठीक 25 साल बाद ये सौगात कश्मीर के लोगों को मिला है लेकिन ये काफी दुख की बात है कि इतने साल बाद कश्मीरियों को ये सुविधा मिलने जा रहा है। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि क्या आंतक चपेट में रहा है कश्मीर में सिनेमाघर तक नहीं था। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो रुक जाइए। आपको बता दें कि 80 और 90 के दशक में आंतकियों ने सबकुछ खत्म कर दिया था। उस दौरान जो सिनेमाघर था, उसे आंतकियों ने बर्बाद कर दिया। उस समय आंतकियों ने निशाने पर सबसे अधिक सिनेमाघर ही होते थे। पहले आंतकियों ने धमकी देना शुरू किया कि सभी सिनेमाघर जाने से बचे। स्थानीय लोगों ने इसे हल्के में लिया।
'ईस्ट और वेस्ट इस्लाम इज द बेस्ट'
साल 1989 में एयर मार्शल नूर खान के नेतृव में एक उग्रवादी समूह अल्लाह टाइगर्स अखबारों के जरिए खबर प्रकाशित करवाया। अखबार के माध्यम से उसने सिनेमाघरों पर प्रतिबंद लगाने की घोषणा की थी। वर्तमान में संगठन नहीं है। आंतकी सिनेमा को गैर-इस्लामिक बताया करते थे। उस सगंठन ने 1979 में ईरानी क्रांती के नारे को अपनाते हुए, इस्लामिक विद्रोह की शुरूआत की। नारा दिया कि 'la sharakeya wala garabeya, islamia, isalmia' यानी इसका मतलब होगा कि। ईस्ट और वेस्ट इस्लाम इज द बेस्ट। आतंकी सिनेमाघरों पर हमला करने लगे। इसके बाद से धीरे-धीरे लोग सिनेमाघर ही जाना बंद कर दिए। 31 दिंसबर 1989 तक कश्मीर के सभी सिनेमाघर बंद कर दिए गए।
क्या इसके बाद प्रयास नहीं हुआ?
साल 1999 में फारूक अब्दुला के नेतृत्व वाली सरकार ने तीन सिनेमा हॉल खोलने के लिए अनुमति दिए। उनमें रीगल, नीलम, और ब्रॉडवे था। रीगल में पहले शो के दिन ही आंतकी हमला हो गया। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और लगभग 12 लोग घायल हो गए थे। यानी जो फारूक ने उम्मीद दिखाई थी। उनको आंतकियों ने खत्म कर दिया।
पीडपी और बीजेपी ने किया था ऐलान
सऊदी अरब में जब फिल्म हॉल से एक दशक बाद प्रतिबंध हटाया गया था, तभी जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी सरकार में साथ थे। तत्कालीन सरकार ने कहा था कि कश्मीर में जल्द ही सिनेमाघर खोला जाएगा। उस समय भी इसका विरोध आंतकियों ने किया था। वही कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री रही मुफ्ती ने कहा था कि "आज श्रीनगर में रहने वाले युवा सिनेमा हॉल में आंतकवादियों की तरफ से प्रतिबंध के कारण सिनेमा हॉल में फिल्में देखने की खुशी के बारे में नहीं जानते हैं। मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर के छात्र इस खुशी से वंचित हैं।"
उन सिनेमाघरों का क्या हुआ?
कश्मीर का पहला सिनेमा हॉल अनंत सिंह गौरी ने 1932 में लाल चौक में बनाया था। इतिहासकारों के मुताबिक, इसका नाम कश्मीर टॉकीज रखा गया था। हालांकि बाद में इसे सेंट पीटर्सबर्ग के प्रसिद्ध के नाम पर पैलेडियम कर दिया गया। वर्तमान में इस थिएटर में सीआरफीएफ की चौकी है। साल 1980 के दशक तक कश्मीर में लगभग 15 सिनेमाघर थे। जिसमें 9 अकेले श्रीनगर में था। आपको बता दें कि ब्रॉडवे, रीगल, नीलम, नाज, खय्याम और शेराज शहर के काफी मशहुर सिनेमा हॉल थे।