चाहे जमीन हो या जल, सीमा पर चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। यही वजह है कि भारतीय सेना चीन से युद्ध की संभावनाओं को नकार नहीं रही है। हाल ही में नेवी चीफ ने भी इसको लेकर बड़ा बयान दिया है। नौसेना चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने शनिवार को कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जहाजों की ‘‘बड़ी संख्या उपस्थिति’’ है और भारत समुद्री क्षेत्र में अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए क्षेत्र के घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए है।
"पाकिस्तान में बंदरगाहों पर भी चीन के जहाजों पर नजर"
नेवी चीफ ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना पाकिस्तान में बंदरगाहों पर चीनी नौसेना के अलग-अलग जहाजों के रुकने पर नजर रख रही है। खतरे के पहलुओं के बारे में पूछे जाने पर, नौसेना प्रमुख ने पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों के अलावा उभर रही समग्र स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना की भूमिका समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की है, चाहे वे कहीं भी हों, और वह खतरों और चुनौतियों का आकलन करती है।
"टकराव की स्थिति बनने की संभावना से इंकार नहीं"
इस सत्र के बाद, नौसेना प्रमुख ने ‘21वीं सदी में भारतीय नौसेना: उभरते समुद्री खतरों’ पर एक सत्र में हिस्सा लिया। नौसेना प्रमुख ने कहा कि आए दिन यह देखा जा रहा है कि समुद्र में कुछ न कुछ विवाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह टकराव के स्तर से काफी नीचे है, लेकिन टकराव की स्थिति बनने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। पाकिस्तान में बंदरगाहों पर चीनी नौसेना के जहाजों के रुकने के संबंध में एक सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये जहाज सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों के बंदरगाहों पर लंगर डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक पाकिस्तान के बंदरगाहों पर चीनी जहाजों के पहुंचने का सवाल है, ‘‘हम इस पर नजर रख रहे हैं।’’
हिंद महासागर क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी जहाज
एडमिरल कुमार ने कहा कि पाकिस्तानी नौसेना बहुत तेजी से आधुनिकीकरण कर रही है और वह अपने बेड़े में नए युद्धपोत जोड़ रही है। उन्होंने कहा कि जहां तक चीन की बात है, पिछले 10 सालों में उसके द्वारा बड़ी संख्या में जहाजों और पनडुब्बियों का जलावतरण किया गया है, उसका तीसरा विमानवाहक पोत निर्माणाधीन है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि चीन बहुत बड़े विध्वंसक पोत पर भी काम कर रहा है। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम हिंद महासागर क्षेत्र में बहुत पैनी नजर रख रहे हैं। कोशिश यह जानने की है कि वहां किसकी मौजूदगी है और वे क्या कर रहे हैं, इसकी निरंतर निगरानी कर रहे हैं और हम विमान, ड्रोन, जहाज, पनडुब्बी तैनात कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बड़ी संख्या में चीनी जहाज मौजूद हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी समय चीन के तीन से छह युद्धपोत होते हैं।’’
"अंतरिक्ष आधारित अटैक सिस्टम की जरूरत"
इसबीच, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने दिल्ली में, ‘द चाणक्य कॉनक्लेव’ में ‘भारतीय वायुसेना: भविष्य अब है’ विषय पर एक अलग बातचीत में कहा कि भविष्य में इस पर कार्य किये जाने की जरूरत है कि जमीनी आक्रमण प्लेटफॉर्म के अलावा ‘‘हमारे पास अंतरिक्ष आधारित आक्रमण प्रणाली भी हो।’’ उभरते सैन्य खतरों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा कि यह ‘‘जवाबी हमला करने के समय को घटाएगा’’ और विरोधियों पर बड़ा प्रभाव डालेगा, इसलिए भविष्य ‘अंतरिक्ष आधारित आक्रमण प्लेटफॉर्म’ मौजूद होने पर निर्भर करता है।
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