नई दिल्ली: भारत पर विदेशी आक्रांताओं ने कई बार आक्रमण किया लेकिन एक स्टडी में ये दावा किया गया है कि इनमें से अधिकांश आक्रमण बारिश यानी मानसून के दौरान हुए। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटिओरोलॉजी पुणे (IITM Pune) के वैज्ञानिकों ने ये खोज की है। स्टडी में ये बात सामने आई कि छठी शताब्दी ईसा पूर्व (सामान्य युग से पहले) और 16वीं शताब्दी सीई (सामान्य युग) के बीच 11 प्रमुख आक्रमणों में से 8 मानसून के दौरान हुए थे।
रिसर्च टीम में IITM पुणे और रिमोट सेंसस विभाग, बीआईटी (बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी), मेसरा, रांची के वैज्ञानिक शामिल थे। इसका नेतृत्व आईआईटीएम के वरिष्ठ वैज्ञानिक नवीन गांधी ने किया। इसे हालही में अप्रैल के पहले सप्ताह में जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में प्रकाशित किया गया था।
स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
वैज्ञानिकों ने पाया कि दो मामलों को छोड़कर, मध्य एशिया से सभी बड़े आक्रमण मानसून में किए गए, जबकि मध्य एशिया में प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के दौरान हुए। केवल सिकंदर महान और तैमूर ने प्रतिकूल मानसून परिस्थितियों के दौरान भारत पर आक्रमण किया।
स्टडी में पता लगा कि छठी शताब्दी ईसा पूर्व और 16वीं शताब्दी ईस्वी के बीच लगभग हर आक्रमण एक विशेष मानसूनी जलवायु से जुड़ा था। उदाहरण के लिए, साइरस द्वितीय का आक्रमण भारत में लंबे समय तक अच्छे मानसून और मध्य एशिया में सूखे की स्थिति के साथ हुआ।
वहीं सिकंदर महान ने कमजोर मानसून और सूखे की स्थिति के दौरान भारत पर आक्रमण किया। सिकंदर के भारत पर आक्रमण को अक्सर साइरस महान, डायोनिसस और हरक्यूलिस जैसे यूनानी शासकों के नक्शेकदम पर चलते हुए देखा जाता है। हालांकि, उसने भारत में मानसून की स्थिति की परवाह नहीं की।
इसके अलावा, हूणों का आक्रमण, सैन्य कमांडर मुहम्मद इब्न अल-कासिम का आक्रमण, महमूद गजनवी द्वारा लूट के इरादे से किए गए हमले मानसून के दौरान ही किए गए। चंगेज खान और अलाउद्दीन खिलजी ने भी अच्छे मानसून और भारी बारिश के दौरान भारत पर आक्रमण किया। वहीं तुर्क-मंगोल विजेता, तैमूर ने कमजोर मानसून की स्थिति के दौरान भारत पर आक्रमण किया।