कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के जमीन घोटाले मामले में मंगलवार को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से दी गई उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री को इस मामले में जांच का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, आदेश के बाद सिद्धारमैया ने भाजपा पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि, "भाजपा बदले की राजनीति कर रही है। उनके खिलाफ लड़ाई हम लड़ेंगे और जरूर जीतेंगे।"
याचिका को लेकर कोर्ट की टिप्पणी?
इस केस की सुनवाई कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। पीठ ने कोर्ट में दायर सिद्धारमैया की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, "राज्यपाल असाधारण परिस्थितियों में निर्णय ले सकते हैं। सामान्य परिस्थिति में राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करना होता है, लेकिन असाधारण परिस्थितियों में वह स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं। उनका आदेश विवेकहीनता से ग्रस्त नहीं है।" बता दें कि, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 अगस्त को सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी। उन पर मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की जमीन के मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप है।
CM ने राज्यपाल के फैसले को बताया था संवैधानिक नियमों के खिलाफ
इसी केस के खिलाफ सीएम सिद्धारमैया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा था कि राज्यपाल का यह आदेश राजनीति में बदले की भावना से दिया गया आदेश है। उन्होंने अपने याचिका में यह भी कहा था कि राज्यपाल ने बिना सोचे-समझे और संवैधानिक नियमों के खिलाफ आदेश दिया है। मैंने 40 साल के राजनीतिक करियर में कुछ गलत नहीं किया। भाजपा को विरोध करने दो, मैं बेदाग हूं। जिस पर आज हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनके इस याचिका को खारिज कर दिया है।
फर्जी दस्तावेज लगाकर महंगी जमीने हासिल करने का आरोप
MUDA घोटाले में सीएम सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि ये सभी लोगों ने मिलकर सरकारी योजना में घोटाला किया है। एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को फर्जी दस्तावेज लगाकर हासिल किया है।
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