भोपाल: मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा में कथित घोटाले का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। कांग्रेस के एक नेता ने इस मामले में जनहित याचिका दायर करते हुए गुहार की है कि उच्च न्यायालय के मौजूदा या अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से इस परीक्षा की कथित गड़बड़ियों की जांच कराई जाए। प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व महासचिव रघुनंदन सिंह परमार के अधिवक्ता रोहित शर्मा ने बताया कि पटवारी भर्ती परीक्षा में कथित घोटाले को लेकर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में जनहित याचिका दायर की गई है और सुनवाई के लिए जल्द सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।
'हजारों उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ'
उन्होंने बताया कि पटवारी भर्ती परीक्षा एक बहुत बड़ा घोटाला है जिससे हजारों उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। शीर्ष 10 चयनित उम्मीदवारों में से सात ने ग्वालियर के एक ही परीक्षा केंद्र में यह भर्ती परीक्षा दी थी। इस केंद्र से कुल 114 लोगों का भर्ती परीक्षा में चयन हुआ है। उन्होंने बताया कि जनहित याचिका में गुहार की गई है कि उच्च न्यायालय के मौजूदा या अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति से इस परीक्षा की कथित गड़बड़ियों की जांच कराई जाए और जांच पूरी होने तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। शर्मा ने कहा कि याचिका में यह गुहार भी की गई है कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल को किसी अन्य भर्ती परीक्षा के विज्ञापन जारी करने या ऐसी परीक्षाओं के आयोजन करने से तब तक रोका जाए जब तक यह जांच पूरी नहीं हो जाती।
सीएम ने नियुक्तियों पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी थी
बात दें कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल को पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल या व्यापमं के नाम से जाना जाता था। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटवारी भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं के आरोप लगने के बाद इस परीक्षा के आधार पर की जाने वाली नियुक्तियों पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी थी। वहीं इससे पहले पटवारी भर्ती परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ इंदौर एवं भोपाल सहित राज्य के कई हिस्सों में हजारों बेरोजगार युवाओं ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन भी किए थे।
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