Highlights
- नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा ने गंवाई 7 सीटें
- ग्वालियर मुरैना और कटनी में मिली करारी हार
- 2023 चुनाव को देखते हुए भाजपा में चिंतन मनन का दौर शुरू
MP Nagar Nigam Election 2022: मध्यप्रदेश के निकाय चुनाव के नतीजों में जो तस्वीर सामने आई है उसने भाजपा के सामने सवाल खड़े कर दिए हैं। 2015 के निगम चुनाव में भाजपा 16 में से 16 सीटें जीती थी लेकिन विधानसभा चुनाव 2023 से पहले 7 सीटें गंवा दी है। दोनों दल जश्न मना रहे हैं लेकिन चुनावी आंकड़ों ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लिए चिंता की लकीरें खींच दी है। वहीं कांग्रेस को 2023 में जीत की उम्मीद दिख रही है।
भाजपा के लिए चिंतन का विषय
भाजपा के लिए मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों ने चिंता और चिंतन की जरूरत खड़ी कर दी है। वजह भी साफ है जहां 7 साल पहले मध्य प्रदेश की सभी 16 नगर सरकारों पर भाजपा का कब्जा था लेकिन आज आए नतीजों में बीजेपी ने अपनी 7 सीटें गंवा दी है,वहीं 5 पर कांग्रेस और 1-1 पर आम आदमी पार्टी और निर्दलीय महापौर ने जीतकर बीजेपी से नगर सरकार छीन ली है। बावजूद इसके बीजेपी खुद को मजबूत मान रही है। इंडिया टीवी से बात करते हुए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा भले ही हम सीटें हारे हो लेकिन हम नगर परिषद और नगर पालिका में जीते हैं हमेशा हर कोई हंड्रेड परसेंट नहीं जीत सकता। नरोत्तम मिश्रा ने कहा हर चुनाव चिंतन का होता है हर चुनाव समीक्षा का होता है। हम कभी हारते नहीं, हारते हैं तो उस हार से सीख भी लेते हैं।
भाजपा ने किया नगर पालिका और नगर परिषद पर कब्जा
दरअसल बीजेपी जीत का जो जश्न मना रही है उसकी वजह भी है भले ही उसने बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले 7 नगर निगम खो दिए हो लेकिन 255 नगर परिषद मैं से 190 पर भाजपा ने कब्जा ही किया है। वहीं 76 नगरपलिका में से 57 पर भी भाजपा का ही कब्जा है। 2015 के मुकाबले भाजपा ने नगर परिषद में 43 सीटें ज्यादा जीती हैं और चार नगरपलिका भी भाजपा के खाते में ज्यादा आई है।
दिग्गजों के गढ़ में हारी भाजपा
मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में केंद्र से लेकर राज्य के तमाम भाजपा के दिग्गजों की साख दांव पर लगी थी चाहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बीडी शर्मा या केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर हो सभी ने प्रदेश की तमाम नगर निगमों में ताबड़तोड़ दौरे रैली सभा रोड शो करके प्रत्याशियों को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ी बावजूद इसके तमाम भाजपा की दिग्गजों को कमलनाथ की कांग्रेस ने धराशायी कर दिया।
20 तारीख को आए दूसरे चरण के नतीजों में मुरैना सीट जीतकर कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ में सेंध लगा दी। ग्वालियर चंबल की इस महत्वपूर्ण सीट पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा समेत नरेंद्र सिंह तोमर ने ताबड़तोड़ दौरे सभाएं भी की बावजूद कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी शारदा सोलंकी ने बीजेपी की प्रत्याशी मीना सोलंकी को 16 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी। वहीं दूसरे चरण के जिस नतीजे ने भाजपा संगठन की कमजोरी जाहिर की वह खुद मध्य प्रदेश में भाजपा का झंडा बुलंद करने की जिम्मेदारी निभा रहे प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का संसदीय क्षेत्र खजुराहो की नगर निगम कटनी रही।
बीजेपी की बागी निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सूरी ने 5 हजार से ज्यादा मतों से जीतकर न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस को भी चिंता में डाल दिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ही नहीं बल्कि सीएम शिवराज ने भी 4 दिन में 2 बड़ी सभा की थीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी रोड शो किया था।
महाराज का गढ़ भी कमलनाथ के कब्जे में
पहले चरण में ग्वालियर चंबल में महाराज कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का राज भी कांग्रेस ने 58 सालों बाद छीन लिया। यह चुनाव हारने की बड़ी वजह है दो दिग्गजों नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की आपसी खींचतान बनी जिसके चलते जहां 58 सालों में 17 महापौर भाजपा के बने थे आपसी गुटबाजी के चलते पहली बार ग्वालियर नगर सरकार में महाराज की जगह कमलनाथ का कब्जा हुआ।
जबलपुर में 18 साल बाद कांग्रेस का महापौर बना
कांग्रेस प्रत्याशी जगत बहादुर सिंह अन्नु ने संघ के कोटे से बीजेपी प्रत्याशी डॉ जितेंद्र जामदार को हरा दिया। जबकि जेपी नड्डा अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अपनी ससुराल जबलपुर पिछले महीने 1 जून को पहुंचे थे और बूथ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की थी। 2022 के निकाय चुनाव में जीत और हार के आंकड़ों को समझने की कोशिश करें तो मध्यप्रदेश में कुल 16 महापौर पद हैं, 2015 चुनाव में सभी पर बीजेपी का कब्जे रहा।
चुनाव नतीजों पर एक नजर
9 बीजेपी (भोपाल, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, सागर, सतना, उज्जैन, रतलाम, देवास मेयर सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार)
5 कांग्रेस ( जबलपुर, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, रीवा, मुरैना मेयर सीट बीजेपी से कांग्रेस ने छीनी)
1 आप (सिंगरौली में आम आदमी पार्टी ने पहली बार मेयर सीट जीती)
1 निर्दलीय ( कटनी में बीजेपी से निर्दलीय ने सीट छीनी)
बहरहाल, मध्यप्रदेश में 5वीं बार सत्ता में आने का सपना देख रही बीजेपी के लिए महापौर पद के ये नतीजे सपने पर पानी फेर सकते हैं साथ ही भाजपा के तमाम महारथियों के सामने भी सवाल खड़े करते हैं।