Tuesday, November 19, 2024
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1992 से फरार दाऊद का रिश्तेदार नाजिर हिरासत में, उठाएगा कई रहस्यों से पर्दा

नाजिर पाकिस्तान में दाऊद और छोटा शकील के साथ रह रहा था। एजेंसियों को जांच के दौरान यह भी पता चला की मुंबई को दहला देने वाले 1993 के बम धमाकों के मामले में नाजिर की भी भूमिका है।

Reported By : Suraj Ojha Edited By : Subhash Kumar Updated on: September 12, 2023 7:04 IST
Representative Image- India TV Hindi
Image Source : ANI सांकेतिक फोेटो।

भगोड़े अपराधियों को पकड़ने में पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। वांटेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के रिश्तेदार भगोड़े नाजिर मोहम्मद फाकी को गिरफ्तार कर लिया गया है। नाजिर जेजे अस्पताल में गोलीबारी के सिलसिले में वांटेड था। दाऊद इब्राहिम ने उसका इस्तेमाल अपनी बहन हसीना पारकर के पति इस्माइल पारकर की हत्या का बदला लेने के लिए किया था। पुलिस के मुताबिक नाजिर की कोई तस्वीर भी किसी के पास नहीं थी। वह तीन दशक बाद एजेंसियों के हाथ आया है। 

1993 धमाकों में भूमिका

एक बड़े अधिकारी ने बताया की नाजिर पाकिस्तान में दाऊद और छोटा शकील के साथ रह रहा था। एजेंसियों को जांच के दौरान यह भी पता चला की मुंबई को दहला देने वाले 1993 के बम धमाकों के मामले में नाजिर की भी भूमिका है। जांच से जुड़े अधिकारी का कहना है की नाजिर की गिरफ़्तारी से पाकिस्तान और पाकिस्तान से चल रहे दाऊद गैंग के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

कब आएगा भारत?
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया नाजिर के बारे में जानकारी मिलने के बाद उसके खिलाफ रेड-कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किए जाने की अर्जी दी गई थी। मुंबई क्राइम ब्रांच की अपील के बाद बाद नाजिर के नाम पर आरसीएन जारी किया गया था। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी की नाजिर को भारत लाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जायेगी। 

इन घटनाओं में था वांछित
नाजिर मोहम्मद फाकी जेजे शूटआउट मामले के मुख्य आरोपी रहीम मोहम्मद फाकी का छोटा भाई है। एक अधिकारी ने बताया की रहीम की शादी इस्माइल पारकर की बहन से हुई है। इस्माइल पारकर की 1992 में अरुण गवली गैंग के सदस्यों ने उसके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी थी।  12 सितंबर 1992 को डी गैंग के शूटरों ने, जिसमें से एक शूटर का नाम ब्रिजेश सिंह था उन लोगों ने एके-47 से लैस होकर जेजे हॉस्पिटल पर धावा बोल दिया। यहां पारकर के दोनों हत्यारों को मारने के लिए 500 से अधिक राउंड फायरिंग की गई। इस फायरिंग में हल्दनकर समेत दो पुलिस कांस्टेबलों की मौत हो गई थी। नाजिर ने फायरिंग की प्लानिंग और उसे अंजाम देने में तो भूमिका अदा की थी साथ ही उस शूटआउट में वांटेड आरोपियों को छुपने में भी काफी मदद की थी। उसने कथित तौर पर आरोपियों को रत्नागिरी के अपने पैतृक गांव खेड़ में शरण दी थी। 1993 के बम धमाकों के बाद नाजिर पाकिस्तान भाग गया था और वहां शरण ले ली थी। 

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