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क्या आप भी कर रहे हेडफोन और ईयरबड का इस्तेमाल, इस नई रिसर्च को जरूर पढ़ लें

रिसर्च के अनुसार, डेटा के एक विश्लेषण में, हेडफोन और ईयरबड्स का उपयोग और तेज आवाज वाले मनोरंजन स्थलों पर जाने से दुनिया भर में टीनेजर और युवाओं में बड़ी संख्या में बहरापन ला सकता है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published : Nov 17, 2022 8:47 IST, Updated : Nov 17, 2022 8:47 IST
हेडफोन और ईयरबड के यूज पर आई नई रिसर्च
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE हेडफोन और ईयरबड के यूज पर आई नई रिसर्च

आजकल के लाइफस्टाइल में कुछ चीजों ने ऐसी जगह बना ली है जिनके बिना मानो आधे काम रुक जाएं। ऐसी ही कुछ चीजों में से एक है हेडफोन और ईयरबड। लोग आजकल हेडफोन और ईयरबड पर हजारों रुपय़े खर्च कर रहे हैं। लेकिन नई रिसर्च में कुछ ऐसा सामने आया है जो हेडफोन यूज करने वाले लोगों के लिए खतरे की घंटी है। हाल ही सामने आई नए शोध से पता चला है कि 1 अरब से ज्यादा टीनएजर और युवाओं को हेडफोन और ईयरबड के इस्तेमाल और तेज म्यूजिक सुनने से बहरापन का बड़ा खतरा है।

डराने वाला है WHO का अनुमान

इस नई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने कहा, "सुरक्षित सुनने की प्रथाओं को बढ़ावा देकर वैश्विक बहरापन रोकथाम को प्राथमिकता देने के लिए सरकारों, उद्योग और नागरिक समाज की तत्काल आवश्यकता है।" विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO का अनुमान है कि दुनिया भर में 43 करोड़ से अधिक लोग बहरेपन की शिकायतों से पीड़ित हैं। जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, खराब नियामक प्रवर्तन के बीच स्मार्टफोन, हेडफोन और ईयरबड्स जैसे व्यक्तिगत सुनने वाले डिवाइस (पीएलडी) के उपयोग के साथ-साथ तेज म्यूजिक वाली जगहों पर जाने के कारण युवाओं में विशेष रूप से बहरेपन का खतरा है।

इतना वॉल्यूम है आपके कानों के लिए घातक
पहले पब्लिश रिसर्च के अनुसार, पीएलडी यूज करने वाले लोग अक्सर 105db तक के हाई वॉल्यूम पर म्यूजिक सुनते हैं, जबकि मनोरंजन स्थलों पर औसत साउंड लेवल 104 से 112db होता है, जो स्वीकार्य स्तर से काफी ज्यादा होता है। बता दें कि वयस्कों के लिए आवाज का स्वीकार्य स्तर 80db और बच्चों के लिए 75db माना जाता है।

दुनिया भर में इतने प्रतिशत युवाओं और टीनेजर को खतरा
रिसर्च के अनुसार, डेटा के एक विश्लेषण में, पीएलडी य़ानी व्यक्तिगत सुनने वाले डिवाइस का उपयोग और तेज आवाज वाले मनोरंजन स्थलों पर जाने से दुनिया भर में टीनेजर और युवाओं में क्रमश: 24 प्रतिशत और 48 प्रतिशत असुरक्षित सुनने की प्रथाओं से जुड़ी हुई है। इन आकड़ों के आधार पर, शोधकर्ता गणना करते हैं कि दुनिया भर में 0.67 और 1.35 अरब किशोर और युवा वयस्क हैं, जिन्हें सुनने की क्षमता कम होने का खतरा हो सकता है।

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