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कभी मैग्मा का महासागर थी चंद्रमा की सतह, चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के भेजे डाटा से हुआ खुलासा

लैंडर और रोवर से युक्त चंद्रयान-3 को इसरो, बेंगलुरु द्वारा लॉन्च किया गया था। लैंडर ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 'सॉफ्ट लैंडिंग' की थी। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त प्रज्ञान के आंकड़ों में पाया गया कि चंद्रमा की मिट्टी एक ही प्रकार की चट्टान फेरोअन एनोर्थोसाइट (एफएएन) से बनी है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: August 22, 2024 11:40 IST
lunar surface- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO चंद्रमा की सतह

चंद्रमा कभी मैग्मा के महासागर से ढका हुआ था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-3 मिशन के आंकड़ों से इस सिद्धांत को बल मिला है। ‘नेचर’ रिसर्च मैगजीन में प्रकाशित एक विश्लेषण में यह कहा गया है। यह विश्लेषण चंद्रमा पर मिट्टी की माप से संबंधित है, जिसे प्रज्ञान रोवर द्वारा सतह पर 100 मीटर की दूरी तय करते हुए कई बिंदुओं पर रिकॉर्ड किया गया। विक्रम लैंडर द्वारा रोवर को तैनात किया गया था। लैंडर ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। लैंडर और रोवर से युक्त चंद्रयान-3 को इसरो, बेंगलुरु द्वारा लॉन्च किया गया था। स्टडी के लेखकों ने कहा कि नासा के अपोलो और सोवियत संघ के लूना जैसे पिछले मिशन मुख्य रूप से क्रमशः चंद्रमा की भूमध्यरेखीय और मध्य-अक्षांश क्षेत्रों से लिए गए मिट्टी के नमूनों पर निर्भर रहे हैं।

चंद्रमा की सतह के निर्माण का खुला रहस्य

स्टडी में अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के लेखक भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त प्रज्ञान के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए पाया कि चंद्रमा की मिट्टी एक ही प्रकार की चट्टान फेरोअन एनोर्थोसाइट (एफएएन) से बनी है।

स्टडी के लेखकों ने कहा कि उनके परिणाम भूमध्यरेखीय और मध्य अक्षांश क्षेत्रों से लिए गए नमूनों के विश्लेषण से मिलते-जुलते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भौगोलिक रूप से दूर के स्थानों से लिए गए नमूनों की समान संरचना चंद्र मैग्मा महासागर परिकल्पना का समर्थन करती है, जो चंद्रमा के प्रारंभिक विकास के लिए व्यापक रूप से स्वीकृत परिदृश्य है। यह परिकल्पना इस बात की संभावित व्याख्या प्रदान करती है कि चंद्रमा की सतह का ऊपरी, मध्य और भीतरी हिस्सा का निर्माण कैसे हुआ।

कैसे हुआ था चंद्रमा का निर्माण?

परिकल्पना के अनुसार, चंद्रमा का निर्माण दो प्रोटोप्लैनेट (ग्रह निर्माण से पहले का चरण) के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ था। जबकि बड़ा ग्रह पृथ्वी बन गया, छोटा ग्रह चंद्रमा बन गया। सिद्धांत के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप चंद्रमा बहुत गर्म हो गया, जिससे उसका पूरा आवरण पिघलकर ‘मैग्मा महासागर’ में बदल गया। अध्ययन में कहा गया है कि जब चंद्रमा का निर्माण हो रहा था, तब वह ठंडा हुआ, कम घनत्व वाले एफएएन सतह पर तैरने लगे, जबकि भारी खनिज नीचे डूब गए और ‘मेंटल’ बन गया, जो कि ‘क्रस्ट’ (सतह का ऊपरी हिस्सा) के नीचे स्थित है। विश्लेषण से यह भी पता चला कि प्रज्ञान ने चंद्रमा की मिट्टी में मैग्नीशियम का पता लगाया है।

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