इस साल मॉनसून ने पूरे देश को खूब भिगोया। पूरे देश को भिगोने के बाद अब मॉनसून ने वापसी ले ली है। इसी कड़ी में इस साल 8 फीसदी अधिक बारिश देखने को मिली है। बता दें कि साल 2020 के बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला है जब बारिश 108 फीसदी तक हुई है। मॉनसून के आने से पहले ही मौसम विभाग ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि इस साल मॉनसून के सीजन में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जाएगी। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक ही इस साल बारिश देखने को मिली है। इस साल हुई अच्छी बारिश के कारण खरीफ की फसलों की खेती करने वाले किसानों को इसका फायदा मिलेगा। इस कारण एग्रीकल्चर सेक्टर में इसका भरपूर फायदा देखने को मिलेगा।
भारी बारिश से खरीफ की फसलों का फायदा
बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सामान्य से अधिक बारिश के कारण न केवल खरीफ की फसलों को लाभ होता है, बल्कि आने वाली रबी की फसलों को भी इसका उतना ही लाभ मिलता है। बता दें कि पारंपरिक तौर पर भारत में खरीफ की सीजन में होने वाली खेती मॉनसून के बारिश पर निर्भर होती है। बारिश के कारण सिंचाई आसान हो जाती है। बता दें कि पिछले साळ 1,088.25 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल उगाई गई थी। जबकि इस साल 1,108.57 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल उगाई गई है। इसी तरह खरीफ की खेती साल दर साल 1.9 फीसदी की दर से बढ़ रही है।
अनाज के बढ़ते दामों पर होगा कंट्रोल
बता दें कि भारत में खेती के तीन सीजन हैं। गर्मी, खरीफ और रबी की। खरीफ की खेती जून और जुलाई में होती है जो कि मॉनसून की बारिश पर निर्भर होती है। जिनकी कटाई अक्टूबर-नवंबर महीने में होती है। वहीं रबी फसलों को अक्टूबर-नवंबर महीने में लगाया जाता है, जिनकी कटाई जनवरी महीने में होती है। वहीं गर्मी के फसल रबी और खरीब के सीजन के बीच आने वाले समय में उगाई और काटी जाती है। दाल,मोटा अनाज, गन्ना, तिलहन की खेती साल-दर साल बढ़ रही है इसक कारण भविष्य में आने वाले दिनों में बाजार में अनाज के बढ़ने वाले दामों पर लगाम लगाई जा सकेगी।