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Mohan Bhagwat News: 'सिर्फ खाना और जनसंख्या बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी करते हैं', जानिए और क्या बोले मोहन भागवत

Mohan Bhagwat News: भागवत ने कहा कि अगर भाषा अलग है तो विवाद है, अगर आपका धर्म अलग है तो विवाद है। आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है। पर्यावरण और विकास के बीच तो हमेशा से ही विवाद रहा है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: July 14, 2022 7:27 IST
Mohan Bhagwat- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Mohan Bhagwat

Highlights

  • 'शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, ये जंगल का नियम', बोले मोहन भागवत
  • देश ने इतिहास से सीखकर विकास किया है : भागवत
  • पर्यावरण और विकास के बीच हमेशा से रहा है विवाद: संघ प्रमुख

Mohan Bhagwat News: हाल ही मे जनसंख्या दिवस मनाया गया। इस दौरान इस बात पर चर्चा की ​गई कि आने वाले समय में जल्दी ही चीन को पछाड़कर भारत दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। इन्हीं चर्चाओं के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि 'सिर्फ खाना और जनसंख्या बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं। जंगल में सबसे ताकतवर होना जरूरी है लेकिन दूसरों की रक्षा करना मनुष्य की निशानी है।' संघ प्रमुख मोहन भागवत ने श्री सत्य सांईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कई मुद्दों पर विस्तार से अपने विचार रखे।

'शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, ये जंगल का नियम'

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने परिवर्तन के नियम से लेकर जनसंख्या तक के मुद्दे पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि 'सिर्फ जिंदा रहना किसी ​मनुष्य के जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं। शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, ये जंगल का नियम है। वहीं शक्तिशाली जब दूसरों की रक्षा करने लगे, ये मनुष्य होने की निशानी है।' मोहन भागवत ने सीधे तौर पर तो जनसंख्या पर कुछ नहीं बोला, लेकिन जनसंख्या बढ़ाने और कुछ किएटिव काम करने का इंसान और जानवर में जो फर्क होता है, उसे बताते हुए उन्होंने बड़ा संदेश दिया। 

इतिहास से सीखकर विकास किया है भारत ने: भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश के विकास पर भी अपने विचार व्य​क्त किए। उन्होंने कहा कि देश ने हाल के वर्षों में काफी तरक्की की है, विकास देखा है। भारत ने पिछले कुछ सालों में इतिहास की बातों से सीखा और सबक लेकर भविष्य के विचारों को समझते हुए विकास किया है। अगर कोई 10 या 12 साल पहले ऐसा कहता तो कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता। भागवत ने कहा कि जो विकास आज दिख रहा है, इसकी नींव 1857 में रख दी गई थी। बाद में विवेकानंद ने अपने सिद्धांतों से उसे आगे बढ़ाया था। हालांकि इन सबके बीच मोहन भागवत ने इस बात को माना कि विज्ञान और बाहरी दुनिया की स्टडी में संतुलन का अभाव स्पष्ट दिखाई दे जाता है। 

पर्यावरण और विकास के बीच हमेशा से रहा है विवाद: मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि अगर भाषा अलग है तो विवाद है, अगर आपका धर्म अलग है तो विवाद है। आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है। पर्यावरण और विकास के बीच तो हमेशा से ही विवाद रहा है। ऐसे में पिछले एक हजार वर्षों में कुछ इसी तरह से ये दुनिया विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि 'सभी से प्रेम करो, सबकी सेवा करो' की कहावत के पीछे सबकुछ दर्शन एक है। भागवत ने कहा, 'अस्तित्व वह है जो अलग अलग रूपों में प्रकट होता है। ये अलग अलग रूप नाशवान हैं। प्रकृति सदा नाशवान है लेकिन प्रकृति का मुख्य स्रोत शाश्वत और चिरस्थायी है।'

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