Highlights
- मोदी सरकार में पस्त हुए आतंकवादियों के हौसले
- आठ साल में आतंकवादी हमलों की साजिश हुई नाकाम
- मनमोहन सरकार के दौरान लगातार होते रहे थे आतंकी हमले
India defeated terrorism: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आठ वर्षों के दौरान आतंकवादियों के हौसलों को पस्त कर दिया है। मोदी के मजबूत नेतृत्व और सुरक्षा एंजेंसियों की सतर्कता से आंतरिक आतंकवाद की कमर टूट गई है। इस बात का खुलासा आरटीआइ से सामने आए सरकारी आंकड़ों से हुआ है। इसके अनुसार पिछले आठ वर्षों के राजग शासन में केवल सात ऐसे चरमपंथी हमले हुए हैं, जिनकी संख्या पहले कहीं अधिक होती थी।
इसके अलावा, 2014 से अब तक, ऐसे हमलों में कम से कम लोगों की जान गई है। इस दौरान 11 नागरिकों ने जान गंवाई है, जबकि 11 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं। इसके अलावा 52 नागरिक और 44 सुरक्षा बल घायल हुए हैं। ये और अन्य महत्वपूर्ण आंकड़े केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुणे के कार्यकर्ता प्रफुल सारदा को दिए गए एक आरटीआइ के जवाब में सामने आए हैं।
सारदा ने कहा, "मैंने भारत में 2004 से अब तक हुए सभी आतंकी हमलों का विवरण मांगा था, जिसका अर्थ है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के यूपीए कार्यकाल और प्रधानमंत्री मोदी की एनडीए सरकार के दौरान हुए हमलों की जानकारी मांगी गई थी।
मनमोहन सरकार में आतंकी रहे हावी
आरटीआइ के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2004 से 2013 तक यूपीए शासन काल में अधिक आतंकी हमले हुए और इस दौरान सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आंकड़ों के अनुसार मनमोहन सरकार में कुल 42 आंतरिक आतंकवादी हमले हुए। इसमें 853 नागरिकों की जान चली गई। जबकि 18 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए। इसके अलावा इस दौरान इन हमलों में 3,147 नागरिक घायल भी हुए। डेटा इंगित करता है कि 2008 और 2006 आंतरिक इलाकों में चरमपंथी हमलों के मामले में सबसे खराब वर्ष थे, जिसमें क्रमश: 306 और 238 नागरिक मारे गए और साथ ही क्रमश: 833 और 1,266 नागरिक घायल हुए।
मुंबई हमला यूपीए के दौरान बड़ी आतंकी साजिश
यूपी सरकार के दौरान डा. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते वर्ष 2008 में मुंबई में सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। 26/11 के इस आतंकवादी हमले में 18 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए। जबकि 159 लोगों की जान गई। इस दौरान पाकिस्तान के नौ आतंकवादी मारे गए, जबकि एक अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया, जिसे बाद में 21 नवंबर, 2012 को फांसी दे दी गई। 2008 की अन्य प्रमुख घटनाओं में शामिल हैं: रामपुर (उत्तर प्रदेश) में हमला, जयपुर, बेंगलुरु और अहमदाबाद, दिल्ली और महरौली, मालेगांव और गुजरात तथा अगरतला, इंफाल और असम में इस दौरान हमले हुए।
यूपीए सरकार में धमाकों पर धमाके
यूपीए के कार्यकाल में आतंकी लगातार धमाकों पर धमाके करते जा रहे थे। 2006 के आंकड़ों में अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर आतंकवादी हमले (19 फरवरी), मुंबई में 7/11 की उपनगरीय ट्रेनों में सिलसिलेवार बम विस्फोट (11 जुलाई) और मालेगांव विस्फोट (8 सितंबर) शामिल हैं। मंत्रालय के निदेशक (सीटी-आइ) और सीपीआइओ चंचल यादव के आरटीआइ जवाब में केवल भारत के 'आंतरिक इलाकों' या नागरिक क्षेत्रों में आतंकवादी हिट या बम विस्फोटों से संबंधित विवरण प्रदान किया गया है।
सारदा ने कहा, "यह हैरान करने वाला है कि अधिकारी ने उत्तर को 'हिंटरलैंड' क्षेत्रों तक सीमित क्यों रखा, और सीमावर्ती राज्यों में महत्वपूर्ण आतंकी गतिविधियों को आसानी से छोड़ दिया। इसलिए, इससे यह सही तस्वीर सामने नहीं आती है कि 2014 से लेकर आज तक सीमाओं और अंदरूनी इलाकों में देश को कितनी बार निशाना बनाया गया?"
कार्यकर्ता ने बताया कि केंद्र ने राज्य को 'पुलिस' को किसी भी आतंकवादी/आपराधिक गतिविधियों के लिए पहली प्रतिक्रिया के रूप में नामित किया है और इस तरह देश में 'आतंक-अपराध की घटनाओं को एक साथ जोड़ना' प्रतीत होता है। सीपीआईओ ने जम्मू-कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद (माओवादी/नक्सलवाद) और उत्तर-पूर्व के लिए संबंधित विभागों को आरटीआई प्रश्नों को निर्देशित किया है, लेकिन उनके जवाब की प्रतीक्षा है। हालांकि, केंद्र सरकार ने पिछले 18 वर्षों में आंतरिक आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और विधायी उपाय किए हैं।
इस दिशा में सरकार की ओर से की गई कुछ प्रमुख पहलें हैं: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस की ताकत बढ़ाना, विशेष बलों की क्षमता निर्माण, (राज्य) पुलिस बलों का आधुनिकीकरण, सख्त आव्रजन नियंत्रण, खुफिया व्यवस्था और तटीय सुरक्षा का उन्नयन (अपग्रेडेशन), और यूएपी और एनआईए अधिनियमों को और अधिक मजबूती देना।