Monday, November 25, 2024
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मोदी सरकार ने दिया नए साल का तोहफा, दिसंबर 2023 तक 80 करोड़ लोगों को मिलेगा मुफ्त अनाज

पीयूष गोयल ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल, गेंहू और मोटा अनाज साल 2023 में भी बांटना जारी रखेगी।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: December 24, 2022 6:28 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  - India TV Hindi
Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी सरकार ने नए साल पर देश के 80 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को तोहफा दिया है। आज केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत चावल, गेंहू और मोटा अनाज साल 2023 में भी बांटना जारी रखेगी। पीयूष गोयल ने कहा कि अभी सरकार चावल, गेंहू और मोटे अनाज पर क्रमश: 3, 2 और 1 रुपए प्रति किलो की दर से कीमत लेती है, लेकिन अब सरकार ने फैसला लिया है कि दिसंबर 2023 तक यह अनाज पूरी तरह से मुफ्त में मिलेगा। 

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना होगी खत्म

इस बात की घोषणा करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि इस फैसले से 81.35 करोड़ लोगों को फायदा होगा। केंद्र सरकार इस योजना पर प्रति वर्ष लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनएफएसए के तहत गरीबों को मुफ्त में अनाज मुहैया कराया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने 31 दिसंबर को खत्म होने जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की अवधि आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। 

81.35 करोड़ लाभार्थियों को सरकार दे रही मुफ्त राशन
इस योजना के तहत सरकार की तरफ से 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन दिया जाता रहा है। इस योजना के तहत दिया जाने वाला अनाज एनएफएसए के तहत मिलने वाले सब्सिडी-युक्त अनाज से अलग होता है। खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाले एनएफएसए कानून के तहत सरकार की तरफ से हरेक पात्र व्यक्ति को हर महीने पांच किलोग्राम खाद्यान्न दो-तीन रुपये प्रति किलो के भाव पर मुहैया कराया जाता रहा है। वहीं अंत्योदय अन्न योजना में आने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम अनाज मिलता है। एनएफएस के तहत गरीबों को तीन रुपये प्रति किलो की दर पर चावल और दो रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूं मुहैया कराया जाता है। 

सरकारी अधिकारियों ने एनएफएसए के तहत 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले को देश के गरीबों के लिए 'नए साल का उपहार' बताते हुए कहा कि लाभार्थियों को अब खाद्यान्न के लिए एक भी रुपया नहीं देना होगा। इस पर आने वाले करीब दो लाख करोड़ रुपये के समूचे बोझ को सरकार ही उठाएगी।

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