पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने गलवान झड़प को लेकर चीन की सच्चाई बताई है। उन्होंने गलवान घाटी में चीन की आक्रामकता पर भारत की जवाबी कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत ने एक देश के रूप में दुनिया को दिखाया कि पड़ोस की बदमाशी का मुकाबला करना संभव है। जनरल नरवणे ने कहा कि हम हमेशा पेट्रोलिंग प्वॉइंट 15 ( PP15) तक पेट्रोलिंग करते रहे हैं, लेकिन वे हमें अपने पारंपरिक पेट्रोलिंग प्वॉइंट पर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे, जो नामंजूर था। हमें आने से रोकने के लिए उन्होंने छोटी-छोटी चौकी स्थापित की थी जिस पर हमने जोरदार आपत्ति जताई, लेकिन वे अड़े रहे कि वापस नहीं जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा, "इसलिए हमें और अधिक मुखर होना पड़ा। इसके बाद वे अतिरिक्त ताकत के साथ आए और PP15 में हमारी तरफ में झड़प हुई, लेकिन हम यह करने में कामयाब रहे कि वे वापस जाएं" गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए, इस पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा कि कोई भी दुर्घटना आपको आहत करती है। बेशक, आप थोड़ा दुखी महसूस करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ आपको यह भी लगता है कि उन्होंने जो कुछ किया है वह कर्तव्य के अनुरूप है और उन्होंने अपना बेहतर दिया।"
'गलवान में उल्लंघन कर रही थी PLA'
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, "हम हथियार लेकर चलते हैं, लेकिन हमारे जवानों को बहुत संयम बरतना होता है कि उकसावे की स्थिति में गोली न चलाएं, क्योंकि हम समझौते का पालन कर रहे हैं, लेकिन जब PLA गलवान में उल्लंघन कर रही थी, तो हमने कहा कि अगर वे उल्लंघन कर रहे हैं तो आप जवान आत्मरक्षा में कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं।" उन्होंने कहा कि चीन कई सालों से एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है। वे इसे बहुत छोटे-छोटे चरणों में कर रहे हैं...लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया है। यह वह रणनीति है जो उन्होंने अपनाई है और जारी रख रहे हैं।"
'पीएलए की एक दीर्घकालिक रणनीति रही है'
पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा, "पीएलए की एक दीर्घकालिक रणनीति रही है- आगे बढ़ते रहो, किसी भी संभावित कमजोरी को लेकर हमारी जांच करते रहो और अगर पता चल जाए तो वो वहां बैठेंगे और कहेंगे कि यह हमेशा ऐसा ही था, इसलिए हर छोटी सी छोटी कार्रवाई का मुकाबला करना होगा।" उन्होंने कहा कि चीन के साथ कई दौर की वार्ता के बाद अप्रैल 2020 तक की यथास्थिति बहाल कर दी गई है। उन्होंने कहा, "अगर भविष्य में उस स्थिति को फिर से हासिल करना चाहते हैं, तो यह टकराव हर समय होने के बजाय चीन और भारत दोस्त हों, तो बेहतर होगा।"
भारत और पड़ोसी देशों की सेना में फर्क पर क्या बोले?
चीनी सेना, पाकिस्तानी सेना और भारतीय सेना में फर्क के सवाल पर उन्होंने कहा, "सेना के रूप में आपको यह जानना होगा कि आपको अपने देश का समर्थन, अपनी सरकार और लोगों की इच्छा आदि का समर्थन प्राप्त है। मुझे लगता है कि यहीं पर हम काफी फायदे में हैं। हमारे लोग सशस्त्र बलों का बहुत सम्मान और प्रशंसा करते हैं। यह उनका प्यार और स्नेह है, जो हमें आगे बढ़ाता है। जब हम सीमा पर होते हैं, तो हमें पता चलता है कि हमारे नागरिक हमारे साथ हैं। वही हमें मजबूत बनाता है। मैं नहीं जानता कि दूसरी तरफ यह कितना सच है।"
बालाकोट स्ट्राइक पर भी बोले एमएम नरवणे
बालाकोट स्ट्राइक पर पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, "हमने बताया है कि यदि आप हमारे साथ कुछ करते हैं, तो हम इसका जवाब देंगे और ये उससे ज्यादा भयानक होगा। यही संदेश दिया गया। हमने यह बिल्कुल साफ कर दिया है कि आतंकवाद का कोई भी स्वरूप हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। इतने सालों से हमारा यही रुख रहा है। हम हमेशा आतंक और आतंकवाद के खिलाफ रहे हैं। एक अच्छा आतंकवादी और एक बुरा आतंकवादी जैसा कुछ नहीं होता। यदि कोई राष्ट्र ऐसा मानता है तो यह उनके अंत जैसा है, क्योंकि वही आतंकवादी उन्हें डंसने के लिए वापस आएंगे जैसा कि अभी हो रहा है।"
गौरतलब है कि पूर्व सेना प्रमुख एमएम नरवणे का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब चीन ने कुछ दिन पहले ही अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने पीएलए को खदेड़ दिया। इस दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई और दोनों पक्षों के जवान घायल हुए।