What is Miyawaki Technique: मियावाकि तकनीक क्या है? क्या आपको नहीं पता है? अगर आपको इसका जवाब नहीं पता है तो हम आपको आज इस तकनीक के बारे में बताएंगे। दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (Delhi MCD) मियावाकि तकनीक के जरिए भारी भीड़-भाड़ वाले शहर दिल्ली के 10 इलाकों में इस तकनीक का इस्तेमाल कर सूक्ष्म शहरी वन तैयार करने जा रही है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर दिल्ली के अलग अलग इलाकों में छोटे छोटे जंगलों को तैयार किया जाएगा। इसका मकसद होगा दिल्ली में प्रदूषण को कम करना और दिल्ली में साफ और स्वच्छ हवा उत्पादित करना।
दिल्ली सरकार ने क्यों लिया फैसला
2 साल पहले दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के अलग अलग इलाकों में मियावाकि तकनीक के जरिए छोटे छोटे जंगल तैयार किए गए थे। सूक्ष्म जंगलों के परिणाम सकारात्मक आए हैं। इस कारण दिल्ली सरकार द्वारा फैसला लिया गया है कि अन्य और 10 इलाकों में इसी तकनीक का इस्तेमाल कर छोटे छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे।
क्या है मियावाकि तकनीक (What is Miyawaki Technique)
मियावाकि पद्धति (Miyawaki Method) वृक्षारोपण की एक जापानी विधि है। यह एक जापानी कॉन्सेप्ट है। इसकी खोज जापान की वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकि ने किया था। इस लिए इस टेक्निक का नाम मियावाकि टेक्निक पड़ा। इस पद्धति का इस्तेमाल कर आप अपने घर के पास खाली पड़ी जमीन को और भी ज्यादा हरे-भरे जंगलों में बदल सकते हैं। इस पद्धति के जरिए एक दूसरे से कम दूरी पर पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। ये पौधे सूर्य रोशनी पाकर ऊंचाई की तरफ बढ़ते हैं। साथ ही इन्हें बेहद कम पानी की आवश्यकता पड़ती है और ये बारिश के पानी को भी संजोने का काम करते हैं।
दुनिया को बचाने में कारगर है मियावाकि टेक्निक
इस पद्धति के तहत तीन प्रखार के पौधों की प्रजातियों को तैयार किया जा सकता है। इस तकनीक के तहत पेड़ पौधे उगाने में मात्र 20-30 साल का समय लगता है जबकि पारंपरिक विधि से उसी जंगल को तैयार करने में 100 साल तक का समय लग जाता है। साइंस जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक दुनिया को ठंडा रखने का एकमात्र उपाय है जंगल। इस रिसर्च के मुताबिक अगर पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन की मार झेलने से बचाना है तो एक लाख करोड़ पेड़ लगाने होंगे। ऐसे में मियावाकि टेक्निक इस दुनिया के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है जिसके जरिए कम समय में घने जंगल छोटे इलाकों में तैयार किए जा सकते हैं।
तीन साल में पौधे होंगे विकसित
मियावाकि तकनीक के जरिए पौधारोपण करने पर मात्र तीन साल में ये पौधे एक सघन जंगल का रूप ले लेंगे। इससे पहले दिल्ली के कुछ स्कूलों में यह प्रयोग किया गया था। कुछ सालों में स्कूल में घना जंगल खड़ा हो गया। यहां बच्चों को साफ हवा भी मिलने लगी और चिड़ियों के लिए पेड़ और जंगल का निर्माण भी हो गया।