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Tuberculosis TB Disease: हर साल टीबी से लाखों लोगों की जाती है जान, मोदी सरकार के पहल से 2030 तक होगी खत्म

Tuberculosis TB Disease: मोदी सरकार ने 2030 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके मद्देनज़र केंद्र द्वारा शुरू किये गये सामुदायिक समर्थन कार्यक्रम के तहत नौ लाख से अधिक तपेदिक रोगियों के संरक्षण की कवायद शुरू की गई है।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Sep 16, 2022 20:55 IST, Updated : Sep 16, 2022 21:59 IST
Tuberculosis TB Disease
Image Source : AP Tuberculosis TB Disease

Highlights

  • 217 टीबी के केस पाए जाते थे
  • 2020 तक आते-आते 188 केस प्रति लाख हो गया है
  • मरीज 15 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के हैं

Tuberculosis TB Disease: मोदी सरकार ने 2030 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके मद्देनज़र केंद्र द्वारा शुरू किये गये सामुदायिक समर्थन कार्यक्रम के तहत नौ लाख से अधिक तपेदिक रोगियों के संरक्षण की कवायद शुरू की गई है। सरकार ने नौ सितंबर को प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया, जिसके तहत तपेदिक रोगियों की विशेष व्यक्ति, निर्वाचित प्रतिनिधियों या संस्थानों के संरक्षण में देखभाल की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि अब तक पोर्टल पर व्यक्तियों, संगठन, उद्योगों और निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित निक्षय मित्र के 12,225 पंजीकरण हुए हैं। 

पीएम मोदी के जन्मदिन पर लक्ष्य

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, देश में 9.42 लाख मरीजों ने अब तक संरक्षण के लिए अपनी सहमति दी है। साथ ही बृहस्पतिवार तक 9,24,089 को संरक्षित किया गया है। गौरतलब है कि टीबी के मरीज़ों की देखभाल के लिए आगे आने वाले लोगों और संस्थाओं को निक्षय मित्र कहा जाएगा। यह लोग प्रखंड, जिलों या एक व्यक्तिगत मरीज का भी संरक्षण कर सकते हैं और उन्हें ठीक होने में मदद करने के लिए पोषण और उपचार सहायता प्रदान कर सकते हैं। सरकार का लक्ष्य 17 सितंबर (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन) तक सभी सहमति वाले टीबी रोगियों का संरक्षण सुनिश्चित करना है। चार-आयामी समर्थन में पोषण, अतिरिक्त निदान, अतिरिक्त पोषक तत्वों की खुराक और व्यावसायिक सहायता शामिल है। 

सबसे अधिक मरीज 15 वर्ष से 45 वर्ष तक
मरीजों का संरक्षण देने वाले दानकर्ताओं में हितधारक, निर्वाचित प्रतिनिधि, राजनीतिक दलों से लेकर कॉरपोरेट, गैर सरकारी संगठन, संस्थान आदि शामिल हो सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में 65 से 70 प्रतिशत टीबी के मरीज 15 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। एक टीबी के मरीज को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता की न्यूनतम अवधि एक वर्ष होगी। हालांकि इसे दो या तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि यह एक स्वैच्छिक पहल है। संरक्षणकर्ता मरीजों की देखभाल के लिए निक्षय पोर्टल पर अपना विवरण दर्ज करवा सकता है।

दुनिया में कहां? 
टीवी बीमारी इतनी खतरनाक है कि अकेले भारत में 25% टीबी के मरीज पाए जाते हैं। साल 2021 की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टीबी की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है।  2017 में जहां हमारे देश में प्रति लाख आबादी पर 217 टीबी के केस पाए जाते थे। वहीं साल 2020 तक आते-आते 188 केस प्रति लाख हो गया है।  इसके मुकाबले दुनिया में साल 2015 में 142 मामले प्रति लाख रिपोर्ट पाए गए । हालांकि 2020 में यह आंकड़ा काफी कम होकर 127 केस प्रति लाख रह गया। 

किन राज्यों में सबसे अधिक केस 
अगर राज्य के मुताबिक आंकड़ों को देखा जाए तो देश में सबसे ज्यादा टीबी के मामले बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में रिपोर्ट किए जाते हैं। इसके बाद दूसरे पायदान पर महाराष्ट्र (9.5फीसदी) गुजरात (8.34फीसदी) मध्य प्रदेश (6.31 फीसदी) और कर्नाटक का नंबर फिर आता है। हालांकि टीबी से सबसे ज्यादा मौत कर्नाटक में होती है, जहां हर साल 100 रोगियों मे 6 की मौत हो जाती है। केरल (5.28फीसदी), त्रिपुरा (5.57फीसदी) उड़ीसा में (5.1 फ़ीसदी) पश्चिम बंगाल में (4.7 फ़ीसदी) तमिलनाडु में (4.69 फीसदी) हिमाचल प्रदेश में (4.49 फीसदी) गुजरात में (4.19 फीसदी) छत्तीसगढ़ में (3.89 फीसदी) असम में (3.76 फ़ीसदी) और आंध्र प्रदेश में (3.54 फ़ीसदी) ये उन राज्यों में शामिल है जहां का डेथ रेट राष्ट्रीय औसतन (3.5 फ़ीसदी) से ज्यादा है।

 

 

 

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