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हिंसा के लिए मौलाना महमूद मदनी ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार, बोले- पिछले अनुभवों की अनदेखी से हुए दंगे

मौलाना मदनी ने कहा कि 1979 में रामनवमी शोभा यात्रा की आड़ में अराजकता के कारण जमशेदपुर में भयानक दंगा हुआ था। उसके बाद हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Apr 04, 2023 7:26 IST, Updated : Apr 04, 2023 7:29 IST
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के मौलाना महमूद असद मदनी
Image Source : FILE PHOTO जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के मौलाना महमूद असद मदनी

नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के मौलाना महमूद असद मदनी ने रामनवमी की शोभा यात्रा के अवसर पर देश के विभिन्न भागों में हिंसा होने पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस संबंध में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से मांग की है कि धर्म और सम्प्रदाय के भेदभाव के बिना दंगा करने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पिछले अनुभवों के आलोक में कानून-व्यवस्था को और अधिक सतर्क एवं सक्रिय किया जाए। इसके साथ ही दंगा पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए।

'गिरफ्तारियों और कार्रवाईयों के पुराने ढर्रे'

मौलाना मदनी ने कहा कि 1979 में रामनवमी शोभा यात्रा की आड़ में अराजकता के कारण जमशेदपुर में भयानक दंगा हुआ था। उसके बाद हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं। पिछले साल भी इस तरह की अराजकता बड़े पैमाने पर हुई थी, लेकिन सरकारों ने उससे कोई सबक नहीं लिया और असली दोषियों को पकड़ने के बजाय एकतरफा गिरफ्तारियों और कार्रवाईयों के पुराने ढर्रे को ही अपनाया।

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'शांतिप्रिय नागरिकों के लिए कष्टदायक है'

मौलाना मदनी ने कहा कि इस साल जो कुछ बिहार के सासाराम व नालंदा, पश्चिम बंगाल के  हावड़ा, गुजरात के वडोदरा, महाराष्ट्र के जलगांव व औरंगाबाद आदि में हुआ है, वह इस देश के शांतिप्रिय नागरिकों के लिए कष्टदायक है। किसी भी धार्मिक पर्व का मकसद खुशियां मनाना और बांटना होता है, लेकिन यहां इसके विपरीत हो रहा है। इसलिए सरकार का यह दायित्व है कि वह त्योहार के अवसर पर होने वाली इन घटनाओं और उनके कारणों की ईमानदारी से समीक्षा करें, ताकि भविष्य में न केवल उनकी पुनरावृत्ति होने से रोका जा सके, बल्कि कार्रवाईयों के माध्यम से इसके मूल कारणों को भी खत्म किया जा सके। 

'स्थानीय पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाए'

मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद हमेशा से यह कहती रही है कि दंगों के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाए। इसके लिए आधिकारिक तौर पर एक दंगा विरोधी कानून का मसौदा भी तैयार किया हुआ था, लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण यह कानून संसद में पेश नहीं हो सका, जिसका नतीजा आज हम सब भुगत रहे हैं।

                                                                                                                                                                                      रिपोर्ट- शोहिब

 

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