नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने एक इंटरव्यू के दौरान मेवात में जिन लोगों के घर गिराए गए उन्हें चेक और जमीनें देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हम मेवात के उन लोगों को घर के लिए जमीनें और चेक दे रहे हैं, जिनके घरों पर बुलडोजर चला दिए गए। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सरकार पर आरोप लगाते हुए साफ तौर पर कहा कि हमे ये कहने में गुरेज नहीं है कि बुलडोजर सिर्फ मुसलमानों के घरों पर चलता है। मुसलमान का घर देखकर ही बुलडोजर चलाया जाता है। ये मेवात में भी हुआ और भोपाल में भी देख लीजिए।
22 परिवारों में से 3 हिंदू परिवार
बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने मेवात में ऐसे 22 परिवारों को घर बनाने के लिए जमीनें और 1-1 लाख के चेक दिए, जिनके घरों पर मेवात में हुई हिंसा के बाद बुलडोजर चला दिए गए थे। इन परिवारों में 19 मुस्लिम और 3 हिंदू परिवार शामिल हैं। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने फिरोजपुर झिरका, मेवात में हुए दंगा पीड़ितों के लिए जमीन और एक-एक लाख रुपये दिए। उन्होंने कहा कि इन पीड़ितों के मकानों को मेवात दंगे के बाद प्रशासन ने यह कहते हुए बुलडोज कर दिया था कि यह वन विभाग की भूमि है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दंगा पीड़ितों में से उन 22 लोगों को चुना, जिनके पास न कोई जमीन थी और न रहने के लिए मकान।
जो बाबरी के साथ हुआ, वहीं मथुरा में होगा
इस मौके पर मथुरा की ईदगाह परिसर सर्वे को लेकर भी अरशद मदनी ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जैसा बाबरी मस्जिद के साथ हुआ वैसा ही यहां भी हो सकता है। बाबरी मस्जिद भी हमसे छीनी गई थी। उन्होंने कहा कि मथुरा-काशी में भी अगर वैसा ही हो जाए तो यह कोई बड़ी बात नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सर्वे की कोई अहमियत नहीं रह गई है। अगर इरादा ही गलत हो तो कोई क्या कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि बाबरी मस्जिद को मंदिर के ऊपर नहीं बनाया गया, लेकिन तब भी आस्था की बुनियाद पर फैसला दे दिया गया। मथुरा काशी भी हो जाएगा तो कोई क्या कर लेगा ? हम आखिरी तक मथुरा हो या काशी सबकी लड़ाई अदालत में लड़ेंगे। वहीं यूपी में हलाल के मामले को लेकर भी अशरद मदनी ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि हलाल का मुद्दा सिर्फ यूपी का था और अब वो खत्म हो गया, इसलिए हम कोर्ट नहीं गए। उन्होंने कहा कि मामला बढ़ता तो कोर्ट जाते और लड़ाई लड़ते।
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