उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में आठ वनकर्मी आग की चपेट में आ गए और इनमें से चार की मौत हो गई। सिविल सोयम वन प्रभाग के बिनसर वन्यजीव विहार में आग की चपेट में आने से गंभीर रूप से झुलसे चार वनकर्मियों का इलाज जारी है। सिविल सोयम के वन प्रभागीय अधिकारी ध्रुव सिंह मर्तोलिया ने बताया कि यह हादसा दोपहर बाद करीब पौने चार बजे हुआ, जब वन्यजीव विहार में आग लगने की सूचना पर आठ वनकर्मियों का दल उसे बुझाने के लिए मौके पर पहुंचा।
उन्होंने बताया कि यह दल जैसे ही वाहन से नीचे उतरा, तेज हवा के साथ बढ़ी आग की लपटों ने उन्हें भी अपनी चपेट में ले लिया जिससे चार वनकर्मियों की मौके पर ही मौत हो गयी । मर्तोलिया ने बताया कि इस हादसे में जान गंवाने वालों में बिन्सर रेंज के वन ‘बीट’ अधिकारी त्रिलोक सिंह मेहता, ‘फायर वाचर’ करन आर्य, प्रांतीय रक्षक दल का जवान पूरन सिंह तथा दैनिक श्रमिक दीवान राम शामिल हैं ।
सीएम धामी ने किया मुआवजे का ऐलान
वन अधिकारी के अनुसार वनाग्नि में गंभीर रूप से झुलसे लोगों की पहचान ‘फायर वाचर’ कृष्ण कुमार, प्रांतीय रक्षक दल का जवान कुंदन सिंह नेगी, दैनिक श्रमिक कैलाश भटट तथा वाहन चालक भगवत सिंह भोज के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि घायलों को बेहतर उपचार के लिए हल्द्वानी बेस अस्पताल ले जाने की सलाह दी गयी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए अधिकारियों को घायलों के बेहतर उपचार के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रत्येक मृत वनकर्मी के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह धनराशि देने को भी कहा है।
मृतकों का पोस्टमार्टम
मुख्यमंत्री ने इस घटना को 'बेहद हृदयविदारक' बताते हुए कहा कि दुःख की इस घड़ी में उत्तराखंड सरकार वनकर्मियों के परिजनों के साथ खड़ी है। उन्होंने हादसे में झुलसे वनकर्मियों को जरूरत पड़ने पर उपचार के लिए ‘एयरलिफ्ट’ कर ऋषिकेश एम्स भेजने के निर्देश भी दिए । मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते ने बताया कि स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि मृतकों का आज ही पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है।
24 घंटे में आगजनी के सात मामले
पिछले माह अल्मोड़ा जिले में ही एक लीसा फैक्टरी वनाग्नि की चपेट में आ गयी थी और आग बुझाने में जुटे तीन मजदूरों की मौत हो गयी थी। गर्म और शुष्क मौसम के कारण उत्तराखंड के जंगलों में फिर आग भड़कने लगी है। उत्तराखंड वनाग्नि बुलेटिन के अनुसार, पिछले 24 घंटों में सात घटनाएं सामने आयीं जिनमें 4.50 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ।
(इनपुट-पीटीआई भाषा)