
आर्थिक सुधारों के जनक और 10 साल तक देश की कमान संभालने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक मना रहा है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री समेत कई पदों पर काम किया। सालों तक हमारी आर्थिक नीति पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। संसद के अंदर उनका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमारे प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए।
इकोनॉमिक्स के स्टूडेंट के तौर पर अपना एकेडमिक करियर शुरू करने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अपने जीवन में एक सफल अर्थशास्त्री, पॉलिसी मेकर और एक राजनेता के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब रहे तो वे भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने वाले महानायक भी रहे। एक ऐसे महानायक जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती है। डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। शिक्षण के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में कदम रखा।
पेश है नौकरशाही और राजनीति में उनके पांच दशक के करियर की एक झलक:
- 1954: पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
- 1957: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इकॉनमिक्स ट्रिपोस (तीन वर्षीय डिग्री प्रोग्राम)।
- 1962: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी. फिल।
- 1971: वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए।
- 1972: वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए।
- 1980-82: योजना आयोग के सदस्य।
- 1982-1985: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर।
- 1985-87: योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- 1987-90: जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव।
- 1990: आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार नियुक्त हुए।
- 1991: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
- 1991: असम से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर से चुने गए।
- 1991-96: पी वी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री।
- 1998-2004: राज्यसभा में विपक्ष के नेता।
- 2004-2014: भारत के प्रधानमंत्री।