Friday, December 27, 2024
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'माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं', जब संसद में मनमोहन सिंह ने पढ़ा शेर, मुस्कुराती रहीं सुषमा स्वराज; VIDEO

एक मंझे हुए अर्थशास्त्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह जब राजनेता बने, तो उनकी शख्सियत के कई अनदेखे पहलू सामने आए। वह 10 साल पीएम रहे लेकिन कहा जाता था कि प्रधानमंत्री कुछ बोलते ही नहीं हैं। लेकिन कई बार संसद में उन्होंने अपने शायराना अंदाज से भाजपा नेताओं को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 27, 2024 8:07 IST, Updated : Dec 27, 2024 8:07 IST
manmohan singh sushma swaraj
Image Source : FILE PHOTO मनमोहन सिंह और सुषमा स्वराज

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपने जीवन में एक सफल अर्थशास्त्री, पॉलिसी मेकर और एक राजनेता के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब रहे तो वे भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने वाले महानायक भी रहे। एक ऐसे महानायक जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती है। उन्हें देश उन्हें कई तरह से याद रखेगा। वह 10 साल पीएम रहे लेकिन कहा जाता था कि प्रधानमंत्री कुछ बोलते ही नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री थे इसीलिए शायद नेताओं की तरह भाषण कला उन्हें नहीं आती थी लेकिन कई बार संसद में उन्होंने अपने शायराना अंदाज से भाजपा नेताओं को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था।

'माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं'

आज भी लोग वो किस्सा याद करते हैं, जब संसद में भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज और उनके बीच शेरो-शायरी हुई थी। दोनों नेताओं ने शेरो-शायरी के जरिए एक-दूसरे को जवाब दिया था। किस्सा 23 मार्च, 2011 का है। लोकसभा में वोट के बदले नोट विषय पर विषय पर चर्चा हो रही थी और मनमोहन सिंह विपक्ष पर सवालों पर जबाव दे रहे थे। इस दौरान नेता विपक्ष सुषमा ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा था- ''तू इधर उधर की न बात कर, ये बता के कारवां क्यों लुटा, मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।''

इसके जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा था- ''माना के तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो देख।'' सुषमा स्वराज की तरफ कैमरे ने फोकस किया तो भाजपा नेता सीट पर बैठीं मुस्कुरा रही थीं। मनमोहन सिंह के इस जवाब पर सत्ता पक्ष ने काफी देर तक मेज थपथपाई थी, वहीं विपक्ष खामोश बैठा रहा था।

'हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी'

ऐसा ही एक दूसरा किस्सा 27 अगस्त, 2012 का है जब संसद का सत्र चल रहा था। मनमोहन सरकार पर कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। तब मनमोहन सिंह ने कहा कि कोयला ब्लाक आवंटन को लेकर कैग की रिपोर्ट में अनियमितताओं के जो आरोप लगाए गए हैं वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सरासर बेबुनियाद हैं। उन्होंने लोकसभा में बयान देने के बाद संसद भवन के बाहर मीडिया में भी बयान दिया। उन्होंने उनकी 'खामोशी' पर ताना कहने वालों को जवाब देते हुए शेर पढ़ा, ''हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी।''

2013 में भी दिखा था शायराना अंदाज

2013 में भी लोकसभा में एक बार शायराना सीन देखने को मिला जब मनमोहन ने कहा, 'हमें उनसे वफा की उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है।' जवाब में भाजपा की तरफ से एक बार फिर सुषमा स्वराज ने मोर्चा संभाला और कहा कि पीएम ने बीजेपी को मुखातिब होकर एक शेर पढ़ा है। शायरी का एक अदब होता है। शेर का कभी उधार नहीं रखा जाता। मैं प्रधानमंत्री का ये उधार चुकता करना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि वो भी एक नहीं दो शेर पढ़कर। इतने में स्पीकर मीरा कुमार बोल पड़ीं कि फिर तो उन पर उधार हो जाएगा। उनकी इस बात पर सभी हंस पड़े।

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