इंफाल: मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने हिंसा को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में हिंसा की बदलती प्रकृति पर चिंता जताई है। खबरों के अनुसार, अमित शाह इंफाल घाटी के बाहरी क्षेत्रों में हिंसा के बाद अब जिलों में नागरिकों के बीच अशांति फैलने को लेकर परेशान हैं। रविवार देर रात नई दिल्ली से लौटने के बाद इंफाल में संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा, 'बाहरी क्षेत्रों में गोलीबारी से लेकर घाटी के जिलों में नागरिक असंतोष तक, हिंसा की बदलती प्रकृति गृह मंत्री अमित शाह के लिए चिंता का विषय बन गई है।'
दिल्ली में क्या हुआ?
सीएम एन बीरेन सिंह ने नई दिल्ली में शाह को मणिपुर के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी और कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार हिंसा को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया, 'शाह ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आर के रंजन सिंह और राज्य के मंत्री सुशींद्रो मेइती के घरों पर हमले, सरकारी संपत्तियों में आगजनी एवं तोड़फोड़ तथा सुरक्षा बलों की आवाजाही को बाधित किए जाने जैसे मुद्दों पर बात की।'
सीएम सिंह ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री ने कहा, 'वह सड़कों पर सुरक्षा बलों, पुलिस और एम्बुलेंस का रास्ता रोके जाने और उन्हें अपना काम करने से रोके जाने को लेकर बहुत चिंतित थे, जो अराजकता का आभास करा रहा है।'
अमित शाह ने दिया मदद का भरोसा
सीएम सिंह ने ये भी कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। सिंह ने कहा, 'यह सभी हितधारकों, नागरिक निकायों, विधायकों और राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक साथ बैठने तथा उन पहलुओं की पहचान करने का समय है, जिन पर सभी को काम करना चाहिए।'
100 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।
पूर्वोत्तर के इस राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है, जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं। (इनपुट: भाषा)
ये भी पढ़ें: