Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर संसद भवन में सर्वदलीय बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। हिंसाग्रस्त राज्य मणिपुर की स्थिति का जायजा लेने के लिए अमित शाह ने ये बैठक बुलाई। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा और सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास सहित अन्य नेता मौजूद रहे। एनसीपी नेता शरद पवार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस मीटिंग में नहीं आए। शरद पवार ने अपने प्रतिनिधि को इस मीटिंग में भेजा।
मई की शुरुआत में शाह ने हिंसाग्रस्त राज्य की अपनी 4 दिवसीय यात्रा के दौरान शांति की अपील की थी और उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। मणिपुर में इस मुद्दे पर विपक्ष ने बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए हैं।
चूंकि मणिपुर में 3 मई के बाद से अभी भी आगजनी जैसी घटनाएं हो रही हैं, इसलिए राज्य सरकार ने शांति बनाए रखने और अशांति को रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से पांच दिन (25 जून तक) तक बढ़ा दिया है। राज्य में जारी अशांति को देखते हुए डेटा सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
क्यों शुरू हुई थी हिंसा
मेइती और कुकी समुदायों के बीच मणिपुर में एक महीने पहले भड़की हिंसा में 100 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।
सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी पर साधा निशाना
इस बीच छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी के लोग दावा करते हैं कि हमारे राज्य में सांप्रदायिकता नहीं है। यहां 50 दिनों से मणिपुर जल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री के पास समस्या के समाधान के लिए बात करने का समय नहीं है।
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