बीते कई महीनों से हिंसा की मार झेल रहे मणिपुर से बड़ी खबर सामने आई है। मणिपुर हाई कोर्ट ने गुरुवार को मार्च 2023 में दिए गए फैसले के उस पैरा को हटाने का आदेश दिया है जिसमें राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने पर विचार करने को कहा गया था। बता दें कि इसी फैसले को मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच बड़े स्तर पर हिंसा के शुरू होने का उत्प्रेरक माना जाता है। आइए जानते हैं कि गुरुवार को कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है।
हाई कोर्ट ने क्या कहा?
बीते साल आए फैसले के पैरा में कहा गया था कि राज्य सरकार आदेश प्राप्त होने की तारीख से मैतेई /मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर शीघ्रता से यह संभव हो तो चार सप्ताह की अवधि के भीतर विचार करेगी। मणिपुर हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यह पैरा उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ द्वारा इस मामले में रखे गए रुख के विपरीत है। पिछले साल के निर्णय में राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी सूची में डालने पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश देने वाले विवादित पैराग्राफ को हटाने का अनुरोध किया गया था।
पुराने निर्देश को हटाया गया
मणिपुर हाई कोर्ट के जस्टिस गाइफुलशिलु ने 21 फरवरी के फैसले में अनुसूचित जनजाति सूची में संशोधन के लिए भारत सरकार की निर्धारित प्रक्रिया की ओर इशारा करते हुए उक्त निर्देश को हटाने की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति गाइफुलशिलू ने कहा कि तदनुसार, पैरा संख्या 17(iii) में दिए गए निर्देश को हटाने की जरूरत है और 27 मार्च, 2023 के फैसले और आदेश के पैरा संख्या 17(iii) को हटाने के लिए तदनुसार आदेश दिया जाता है। (इनपुट: भाषा)
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