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Mangal Pandey Birth Anniversary: कहानी मंगल पांडे की, बलिया के इस छोटे से गांव में हुआ था जन्म

बलिया के छोटे से गांव में जन्में मंगल पांडे को कौन नहीं जानता है। आजादी के लिए ल़ी जाने वाली पहली लड़ाई 1857 की क्रांति ही थी, जिसमें मंगल पांडे ने अहम भूमिका निभाई और मंगल पांडे से नाराज अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: July 19, 2024 10:08 IST
Mangal Pandey Birth Anniversary: कहानी मंगल पांडे की, बलिया के इस छोटे से गांव में हुआ था जन्म - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO मंगल पांडे

15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। भारत को आजादी दिलाने में कई महान नायकों ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई। सालों चली लड़ाई में हमनें कई वीर सपूत खोए। ऐसी ही एक लड़ाई थी 1857 की। दरअसल 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ बिगुल फूंकी गई। कहते हैं कि अंग्रेज इसे सैन्य विद्रोह तो हम भारतीय इसे स्वाधीनता आंदोलन की पहली लड़ाई के रूप में जानते हैं। 1857 की क्रांति की शुरुआत की बलिया के लाल मंगल पांडे ने। मंगल पांडे ने 1857 में भारत के पहले स्वीधानता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी ही बदौलत रुक चुकी आजादी की लड़ाई तेज होती है और रफ्तार पकड़ती है।

बलिया के किस जिले में जन्में थे मंगल पांडे

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के तहत आने वाले नगवा गांव में मंगल पांडे का जन्म हुआ था। उनका जन्म 19 जुलाई 1827 को ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मंगल पांडे के पिता का नाम दिवाकर पांडे था। जब मंगल पांडे 22 वर्ष के थो तो उनका चन ईस्ट इंडिया कंपनी में हो गया था। वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हुए थे। इस बटालियन में अधिक संख्या ब्राह्मणों की थी। इस कारण उनका चयन इस बाटालियन में किया गया। 

चर्बी वाले कारतूस से शुरू हुई कहानी

मंगल पांडे ने अपनी ही बटालियन के खिलाफ बगावत कर डाली। दरअसल मंगल पांडे ने चर्बी वाले कारतूस को मुंह से खोलने से मना कर दिया था। इस कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। इसी बगावत ने उन्हें मशहूर कर दिया। इसी वजह से उन्हें स्वतंत्रता सेना कहा गया। मंगल पांडे के बगावती तेवर ने 1857 की क्रांति को जन्म दिया, जिसने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया और अंत में भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश महारानी के पास चला गया।

क्या था चर्बी वाले कारतूस का विवाद?

दरअसल अंग्रेसी शासन ने अपनी बटालियन को एनफील्ड राइफल दी थी। इसका निशाना कहते हैं कि अचूक था। बंदूक में गोली पुरानी प्रक्रिया से ही भरनी होती थी। इसमें गोली भरने के लिए कारतूस को दांतों से खोलना होता था। इस समय तक एक बात फैलने लगी कि जिस कारतूस को वे दांत से काटते हैं उसमें गाय व सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। इतना जानना ही था कि मंगल पांडे ने इसका विरोध किया। लेकिन अंग्रेजी सरकार को उनका विरोध पसंद नहीं आया और उन्हें गिरफ्तार  कर लिया गया। मंगल पांडे ने तय तिथि से 10 दिन पहले 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई।

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