आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य भी एक अहम मुद्दे के रूप में उभरा है। कार्यक्षेत्र में जिस तरह परिस्थितियां बदली हैं, उन्हें देखते हुए मैनेजरों का रोल बेहद अहम हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 60 फीसदी एंप्लायी मानते हैं कि उनकी नौकरी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों ने यह भी कहा कि वे ज्यादा सैलरी वाली नौकरी की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे और यहां तक कि इसके लिए अपनी तनख्वाह में कटौती भी कर सकते हैं।
'डॉक्टर से भी ज्यादा असर मैनेजर का'
सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'मैनेजरों का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर उतना ही असर पड़ता है जितना कि उनके जीवनसाथी (दोनों 69%) का। यहां तक कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर उनके डॉक्टर (51%) या थेरेपिस्ट (41%) से भी ज्यादा असर मैनेजर का पड़ता है।' सर्वे की रिपोर्ट में यह भविष्यवाणी भी की गई है कि विश्व स्तर पर ग्रेड ‘सी’ की जॉब करने वाले 40 फीसदी लोग ‘काम से संबंधित तनाव के कारण अगले 12 महीनों में नौकरी छोड़ देंगे।’
10 देशों के लोगों पर हुआ था सर्वे
इस महीने की शुरुआत में यूकेजी में द वर्कफोर्स इंस्टीट्यूट द्वारा 'मेंटल हेल्थ ऐट वर्क: मैनेजर्स एंड मनी' रिपोर्ट जारी की गई थी और इसमें विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं निभाने वाले 10 देशों के कामकाजी लोगों को शामिल किया गया था। सर्वे के दौरान सामने आई जानकारी के मुताबिक, दुनिया भर में 5 में से एक कर्मचारी का मानना है कि उसकी नौकरी का उसके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और महिलाओं की तुलना में यह संख्या और भी कम हो जाती है।
तनाव से काफी प्रभावित होता है काम
सर्वे के मुताबिक, 'दिन का काम खत्म होते-होते 43% कर्मचारी 'अक्सर' या 'हमेशा' थके हुए होते हैं, और 78% कर्मचारियों का कहना है कि तनाव उनके काम के प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। काम का तनाव कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन में भी आता है। कर्मचारियों ने कहा कि काम के तनाव का उनके घरेलू जीवन (71%), खुशियों (64%), और रिश्तों (62%) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।' हालांकि काम के दौरान तनाव में रहने वाले 40 फीसदी कर्मचारियों में से कइयों का कहना था कि उन्होंने शायद ही कभी इस बारे में अपने मैनेजर से बात की।
तनावग्रस्त लोगों में मैनेजर भी शामिल
सर्वे में शामिल कुछ लोगों का कहना था कि अगर वे अपनी परेशानी मैनेजर को बताते भी हैं तो इससे कुछ नहीं होगा (16 फीसदी) या उनका मैनेजर काफी व्यस्त है (13 फीसदी), वहीं 20 फीसदी ने कहा कि वे खुद कोई न कोई हल ढूंढ़ लेंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि मैनेजर भी खुद सबसे ज्यादा तनावग्रस्त कर्मचारियों में पाए गए। आधे से ज्यादा मैनेजरों का कहना था कि काश किसी ने उन्हें उनकी नौकरी के बारे में बताया होता (57 फीसदी) जबकि 46 फीसदी का कहना था कि ज्यादा तनाव की वजह से वे अगले 12 महीनों में अपनी नौकरी छोड़ देंगे।