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गाजियाबाद का राजू या देहरादून का मोनू? लापता बेटे की कहानी में बड़ा ट्विस्ट, 31 साल बाद मिला था परिवार से

युवक का हाल ही में गाजियाबाद के एक परिवार से पुनर्मिलन हुआ था। इस घटना के सामने आते ही देहरादून में भी इस व्यक्ति से जुड़ी इसी प्रकार की एक अन्य कहानी का पता चला जहां वह कुछ समय पहले तक मोनू शर्मा की एक अलग पहचान के साथ रह रहा था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 02, 2024 14:12 IST, Updated : Dec 02, 2024 14:13 IST
गाजियाबाद वाले परिवार...- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL MEDIA गाजियाबाद वाले परिवार के साथ राजू

उत्तराखंड पुलिस एक ऐसे युवक के संदिग्ध दावों की जांच कर रही है, जिसका 5 महीने के भीतर दो अलग-अलग परिवारों से (एक गाजियाबाद में और दूसरा देहरादून में) ‘‘पुनर्मिलन’’ हुआ था। उसने दावा किया था कि वह उनका काफी समय से खोया हुआ बेटा है, जिसका अपहरण हुआ था। यह मामला मोनू शर्मा उर्फ भीम सिंह से संबंधित है जिसने देहरादून और गाजियाबाद में एक जैसा दावा किया है कि बचपन में उसका अपहरण कर लिया गया था और उसे राजस्थान में बंधुआ मजदूर की तरह रहने के लिए मजबूर किया गया था।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, हाल में इस व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के एक पुलिस थाने में जाकर दावा किया कि 31 साल पहले जब वह केवल आठ साल का था, तब उसका अपहरण कर लिया गया था। उसने पुलिस को अपना नाम भीम सिंह बताया तथा कहा कि इस दौरान उसे राजस्थान में रखा गया। बाद में उसका पुनर्मिलन गाजियाबाद के एक परिवार से हुआ। इस घटना के सामने आते ही देहरादून में भी इस व्यक्ति से जुड़ी इसी प्रकार की एक अन्य कहानी का पता चला जहां वह कुछ समय पहले तक मोनू शर्मा की एक अलग पहचान के साथ रह रहा था।

देहरादून में भी किया था ऐसा दावा

पुलिस ने यहां बताया कि देहरादून के एक पुलिस थाने में करीब पांच माह पहले एक व्यक्ति पहुंचा और उसने पुलिस से अपने माता-पिता को ढूंढने की गुहार लगाई। पुलिस ने समाचार पत्रों तथा अन्य माध्यमों से उसकी तस्वीर प्रसारित की जिसके बाद बरसों से बाट जोह रही एक महिला आशा शर्मा ने उसे अपने पुत्र के रूप में पहचान लिया और इस तरह उसका अपने परिवार से पुनर्मिलन हो गया। पुलिस ने बताया कि लेकिन कुछ दिन पहले अपने घर से किसी काम के सिलसिले में दिल्ली जाने के लिए निकले मोनू ने फिर अपने माता-पिता से कभी संपर्क नहीं किया।

गाजियाबाद में नए परिवार से हुआ पुनर्मिलन

बाद में आशा को पता चला कि उनके कथित बेटे ने गाजियाबाद पुलिस से अपने माता-पिता को ढूंढने को कहा और उसके बाद उसका वहां भी अपने ‘‘नए’’ परिवार से पुनर्मिलन हो गया है। आशा शर्मा ने कहा कि मोनू जब से आया था, वह उनकी विवाहित बेटी के बच्चों को घर से बाहर निकालने को कहते हुए आए दिन झगड़ा करता रहता था।

परिवार को होने लगा था शक

आशा के पति कपिलदेव शर्मा ने कहा कि उन्हें हमेशा से इस बात पर संदेह था कि वह व्यक्ति उनका बेटा है या नहीं लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी की बात मानकर उसे अपने घर में रहने दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली जाने से पहले उसने यहां के एक व्यक्ति से 8,000 रुपये उधार भी लिए थे। कपिलदेव ने कहा कि पुलिस की टीम सुबह उनके घर आई थी और उन्होंने उसे बता दिया कि अब वे नहीं चाहते कि वह व्यक्ति कभी वापस आए।

देहरादून में इस व्यक्ति को अपने ‘‘माता-पिता’’ से मिलाने में मदद करने वाले मानव तस्करी रोधी इकाई के निरीक्षक प्रवीण पंत ने कहा कि अभी मामले की जांच जारी है और अगर जरूरी हुआ तो टीम गाजियाबाद भी जाएगी। पंत ने कहा कि युवक जब देहरादून आया था तो वह मानसिक रूप से थोड़ा अस्थिर प्रतीत हो रहा था। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि पुलिस गाजियाबाद में सामने आए इस मामले में बारीकी से नजर रख रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देहरादून में उस व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

26 जून 2024 को हुई थी मोनू की आशा से मुलाकात

गाजियाबाद पुलिस ने भी देहरादून स्थित अपने समकक्षों से संपर्क किया है और मामले की आगे जांच कर रही है। गाजियाबाद के पुलिस उपायुक्त निमिष पाटिल ने कहा, ‘‘राजू (भीम सिंह) के बयानों में विसंगतियां सामने आई हैं क्योंकि वह उस ट्रक चालक का नाम नहीं बता सका जिसने उसे देहरादून और गाजियाबाद दोनों जगहों पर छोड़ा था, जिससे संदेह पैदा हुआ।’’ उन्होंने कहा,‘‘राजू के बयानों में विसंगतियों के बावजूद, हम उसके दावों की प्रामाणिकता सत्यापित करने के लिए मामले की गहन जांच कर रहे हैं।’’ गाजियाबाद पुलिस ने उस व्यक्ति को आगे की पूछताछ के लिए बुलाया है। गाजियाबाद पुलिस के अनुसार, ‘मोनू’ की मुलाकात आशा और कपिलदेव शर्मा से 26 जून 2024 को हुई थी। शर्मा का बेटा करीब 16-17 साल पहले लापता हो गया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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