Highlights
- ममता बनर्जी का दावा- केंद्र ने किए मदर टेरेसा मिशनरी के बैंक अकाउंट फ्रीज
- गृह मंत्रालय ने कहा- शर्तों पर खरी नहीं उतरती चैरिटी
- ममता ने कहा- 22 हजार लोगों को नहीं मिल रहा भोजन
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अक्सर केंद्र सरकार पर निशाना साधती रहती हैं। अब ममता बनर्जी का एक ट्वीट इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। अपने ट्वीट में ममता बनर्जी ने दावा किया कि मदर टेरेसा मिशनरी के सभी बैंक खातों को केंद्र सरकार ने फ्रीज कर दिया है। ममता ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं ये सुनकर हैरान हूं कि केंद्रीय मंत्रालय ने क्रिसमस पर मदर टेरेसा मिशनरी ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खाते भारत में फ्रीज़ कर दिए हैं। उनके 22 हजार मरीज और कर्मचारियों के पास खाना और दवाई तक नहीं है। कानून भले ही सबसे ऊपर है, लेकिन मानवीय प्रयासों से भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।'
हालांकि मिशनरी ऑफ चैरिटी ने ऐसी किसी कार्रवाई से इंकार कर दिया था। अब इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी प्रतिक्रिया आ गई है। गृह मंत्रालय ने कहा, 'हमारी तरफ से मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कोई खाता फ्रीज़ नहीं किया गया है। भारतीय स्टेट बैंक ने बताया कि मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी ने खुद अपने खातों को फ्रीज़ करने की रिक्वेस्ट की थी। हमें फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) के तहत मिशनरीज ऑफ चैरिटी का रजिस्ट्रेशन की रिन्यूअल एप्लीकेशन मिली थी। इसे हमने 25 दिसंबर को रद्द कर दिया था। क्योंकि वह FCRA 2010 और फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन की जरूरी कंडीशन पर खरी नहीं उतरती थी।'
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव सुर्जय कांत मिश्रा ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा था, 'कल क्रिसमस के दिन केंद्रीय मंत्रालय ने मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खाते सील कर दिए। सरकार ने भारत में नकदी सहित सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। कर्मचारियों सहित 22,000 मरीज भोजन के बिन और दवाओं के बिना रह गए हैं।'
इससे पहले मिशनरीज़ फॉर चैरिटी पर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने के भी आरोप लग चुके हैं। पिछले दिनों गुजरात के वडोदरा में इस संस्थ पर जबरन बाइबल पढ़ने और ईसाई रीति-रिवाज़ से शादी करने का आरोप लगाया गया था। इस पर पुलिस ने इस बात की पुष्टि भी की थी, जबरन बाइबल पढ़ने का जोर दिया गया था। अब ममता बनर्जी के ट्वीट पर लोगों की भी अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है। एक यूजर ने लिखा, 'पहले आपको ऐसी संस्थाओं का सच भी जानना चाहिए।'