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राज्यसभा में मोदी सरकार पर बिफरे मल्लिकार्जुन खड़गे, बुलेट ट्रेन की धीमी रफ्तार पर किया कटाक्ष

मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना की धीमी रफ्तार पर कटाक्ष करते हुए उसकी तुलना बैलगाड़ी की रफ्तार से की और भारतीय रेल को गरीबों के हक में बेहतर बनाने का आह्वान किया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 23, 2022 18:15 IST
Congress Leader Mallikarjun Kharge- India TV Hindi
Image Source : PTI Congress Leader Mallikarjun Kharge

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना की धीमी रफ्तार पर कटाक्ष करते हुए उसकी तुलना बैलगाड़ी की रफ्तार से की और भारतीय रेल को गरीबों के हक में बेहतर बनाने का आह्वान किया। राज्यसभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने रेल को भारत की ‘‘जीवनरेखा’’ बताया और सरकार को इसके निजीकरण के प्रति आगाह किया। 

उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार ने पहले रेल बजट 2014-15 में घोषणा की थी कि 2022 तक देश में बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। 14 सितंबर 2017 को इसका भूमिपूजन हुआ। लेकिन इसका काम बैलगाड़ी की रफ्तार से चल रहा है।’ खड़गे ने कहा कि एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए जापान से ऋण और प्रौद्योगिकी ली जा रही है और इससे जापान को खूब मुनाफा होगा। उन्होंने कहा कि वह जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस परियोजना का विरोध किया था। 

खड़गे ने कहा, ‘मैंने कहा था कि 500 किमी रेल लाइन बनाने के लिए आप एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। वर्ष 2014-15 में सामान्य ट्रेन चलाने के लिए एक किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का खर्च 10 करोड़ के करीब था जबकि हाईस्पीड ट्रेन के लिए एक किमी रेल लाइन बनाने का खर्च 100 से 140 करोड़ रुपये था।’ 

उन्होंने कहा, 'इन पैसों से सरकार 11,368 किमी सामान्य रेल लाइन बिछा सकती थे लेकिन मंत्रिमंडल का फैसला था, इस कारण वह इसका विरोध नहीं कर सके। मोदी सरकार इस परियोजना को रोक सकती थी और 11,368 किमी रेल लाइन बना सकती थी। इससे देश में रेलवे का विस्तार हो सकता था। इससे गरीबों का फायदा होता।'

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज रेल की आमदनी में भी काफी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि लंबित परियोजनाओं के लिए तत्कालीन संप्रग सरकार पर भाजपा के नेता आरोप लगाते थे लेकिन आज की सरकार में 60 लाख 53 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं लंबित हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को बताना होगा कि वह इन लंबित परियोजनाओं को कैसे पूरा करेगी और इसके लिए आवश्यक धनराशि कहां से लाएगी। 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘रेलवे की स्थिति बदल से बदतर मत करें। इसे सार्वजनिक उपक्रम के रूप में रखें। भारतीय रेल में 13,523 यात्री गाड़ियां हैं और 9,146 मालगाड़ियां हैं। यह जो लाइफलाइन बनी हुई है, इसे बरकरार रखना है।’ गरीबों के हक में रेल को और बेहतर बनाने की सरकार से अपील करते उन्होंने कहा कि स्टेशनों का नाम बदलने या अपनी फोटो लगाने से काम नहीं चलेगा और सरकार को रेल को मजबूत बनाने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने 150 गाड़ियों का संचालन निजी हाथों को सौंपने की घोषणा की थी। सरकार ने उड्डयन और पोत परिवहन को पहले ही अमीरों के हवाले कर दिया है। रेल भी कर देंगे तो गरीबों की बददुआ लगेगी।’ 

उन्होंने कहा, ‘सरकार धीरे-धीरे रेलवे के निजीकरण की ओर जा रही थी लेकिन अभी क्यों रूका है, यह मालूम नहीं है। बार-बार यह कहना कि रेलवे घाटे में है। घाटे में बताने का मकसद निजी हाथों में सौंपना है। रेलवे कर्मचारी भी आशंकित हैं। इसलिए निजीकरण का विचार छोड़ दीजिए।’ इससे पहले, बीजेपी के अशोक वाजपेयी ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में व्यापक पैमाने पर रेलवे का दोहरीकरण, आमान परिवर्तन और विद्युतीकरण हुआ है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तरीय सिग्नल व्यवस्था होने से रेलवे में दुर्घटनाओं में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा कि आज रेलवे स्टेशन विश्वस्तरीय हो रहे हैं और रेलवे में साफ-सफाई के साथ ही सुविधाओं का विकास हुआ है।

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