बारामती: महाराष्ट्र की राजनीति हर रोज कुछ नया दिखा रही है। यहां की दो मुख्य पार्टियों के दो फाड़ हो चुके हैं। शिवसेना और एनसीपी में दो गुट हो गए हैं। जो कभी इन पार्टियों के कर्ताधर्ता होते थे, वह ही अब इससे अलग हैं। कर्ताधर्ताओं के नीचे काम करने वाले ही इनकी पार्टी इनकी ही नाक के नीचे से ले खिसके। अब चुनाव आयोग के द्वारा इन लोगों को नया नाम और चुनाव चिन्ह दिया गया है। शुरुआत शिवसेना से हुई थी और अब कहानी एनसीपी की चल रही है।
ऐसे किसी संगठन का आस्तित्व खत्म नहीं होता- शरद पवार
एनसीपी का नाम और चुनाव चिन्ह अजित पवार को दे दिया गया है। आयोग के इस फैसले के बाद अब शरद पवार भावुक हुए हैं। उन्होंने कहा कि जिसने पार्टी का निर्माण किया, उसे जीरो से आगे बढ़ाया, उससे ही उसकी पार्टी छीन ली गई। चुनाव चिन्ह ले लिया गया। देश और महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है। इसके साथ ही शरद पवार ने कहा कि सिर्फ नाम और चिन्ह छीन लेने से किसी संगठन का अस्तित्व नहीं खत्म हो जाता है।
सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय की उम्मीद- पवार
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पार्टियां आती हैं, जाती हैं, लेकिन किसी भी देश में ऐसा कभी नहीं हुआ कि जिसने पार्टी बनाई हो, उससे ही छीन ली गई हो। हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गए हैं और हमें उम्मीद है कि परिणाम दिया जायेगा। उन्होंने बारामती में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सिंबल को लेकर ज्यादा चिंता न करें। हमने 14 चुनाव लादे हैं। पांचों इलेक्शन में सिंबल अलग-अलग थे। बैल जोड़ी, गाय का बछड़ा, चरखा, हाथ का पंजा और घड़ी जैसे कई सिंबल देखे। किसी संगठन का प्रतीक चिन्ह छीन लेने से उसका अस्तित्व कभी समाप्त नहीं होता।
नेता को अपनी जनता से जुड़े रहना चाहिए- शरद पवार
उन्होंने कहा कि नेता को आम आदमी से संपर्क बढ़ाना चाहिए और सोचना चाहिए कि हम उसे क्या दे सकते हैं। शरद पवार ने कहा है कि इससे ज्यादा दिक्कत नहीं होगी जल्द ही चुनाव की घोषणा हो जाएगी, यह भी साफ हो जाएगा कि उम्मीदवार कौन होगा। उन्होंने कहा कि ग्रुप बनाकर घर-घर जाएं और लोगों को बताएं कि पार्टी का सिंबल जल्द मिलेगा। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से अपील की कि हमारे पास अनुकूल माहौल है और आप सभी को धैर्य और विश्वास देने का काम करें।