महादेव बुक बेटिंग ऐप्लिकेशन मामले की जांच कर रही ED ने रायपुर कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। इस चार्जशीट में कई अहम खुलासे हुए हैं। चार्जशीट में ED ने बताया कि महादेव ऐप के क्रियेटर और प्रकोटर्स सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने वनुआतू (Vanuatu) जो कि एक ओशियन कंट्री है, उसकी नागरिकता ले ली थी। इस देस का ED को उनका पासपोर्ट मिला है जिसे चार्जशीट का हिस्सा बनाया गया है।
वनुआतु के पासपोर्ट से एजेंसियों की आंख में झोंकते रहे धूल
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मुताबिक़ इसी पासपोर्ट का इस्तेमाल करके आरोपी विदेश यात्रा करते थे और एजेंसियों की आंख में धूल झोंकने का काम करते थे। भारत की कई जांच एजेंसियां इन मास्टरमाइंड की तलाश में हैं, जो करोड़ों के अवैध बेटिंग ऐप के पीछे हैं। चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि दोनों आरोपियों ने वनुआतू पासपोर्ट का इस्तेमाल कर ऑस्ट्रेलिया वीसा के लिए भी अर्ज़ी डाली थी। दोनों ही आरोपियों ने अबतक अपनी भारत की नागरिकता नहीं छोड़ी है। ED ने अपनी 8887 पन्नों की चार्जशीट में बताया है कि इन आरोपियों ने अवैध बेटिंग ऐप्लिकेशन के माध्यम से 6000 करोड़ की कमाई की है।
हैदराबाद में डेवलप किया महादेव बुक ऐप
ED ने चंद्राकर और उप्पल के ख़िलाफ़ लुक आउट सर्कुलर (LoC) जारी किया है। वहीं एजेंसी उसके ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) निकालने की तैयारी में भी है। ED ने चार्जशीट में बताया कि महादेव बुक ऐप्लिकेशन को हैदराबाद में डेवलप किया गया था। शुरुआत के दिनों में चंद्राकर और उप्पल हैदराबाद से बैलासपुर यात्रा करते थे और वहां बने ऐप्लिकेशन का ID और सॉफ़्टवेयर पैनल ऑपरेटर को दिया जाता था ताकि अवैध बेटिंग की जा सके।
नियम से बचने के लिए पैसों की जगह दिखाते थे प्वाइंट
ईडी ने खुलासा किया कि उस समय बेटिंग एक्टिविटी को वीडियो गेम के फ़ॉर्मेट में दिखाया था और पैसों को पॉइंट के रूप में दिखाया जाता था। पैसों को प्वाइंट के रूप में इसलिए दिखाते थे ताकि बेटिंग के नियमों छिपाया जा सके। इस ऐप पर जो भी कोई जीतता था या हारता था, तो पैसे कलेक्ट करने के लिए लिंक भेजी जाती थी।
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