अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अब मात्र का साल का ही समय बचा है। सभी पार्टियां जोर-शोर से इसकी तैयारी में जुटी हैं। वहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा का विस्तार पिछले 9 सालों में काफी तेजी से हुआ है। हाल ही में 6 अप्रैल को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने देशभर के 10 लाख 72 हजार से अधिक स्थानों पर इकट्ठे होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्चुअल संबोधन को लाइव सुना।
भाजपा के लिए अभेद दुर्ग बने ये राज्य
पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने पार्टी संगठन के हिसाब से देशभर में सभी 978 जिलों, 15 हजार 923 मंडलों और देश के 10 लाख 56 हजार 2 बूथों पर ध्वजारोहण कर पार्टी की ताकत भी दिखाई। भाजपा देश में राज्य दर राज्य लगातर चुनाव जीत रही है और जिन राज्यों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, वहां भी पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में आ गई है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण पश्चिम बंगाल है लेकिन इसके बावजूद आज भी दक्षिण भारत के कई राज्य भाजपा के लिए अभेद दुर्ग बने हुए हैं।
यहां भाजपा का विजयी रथ बार-बार रुक जाता है
दक्षिण भारत में भाजपा सबसे ज्यादा मजबूत कर्नाटक में है, जहां वो कई बार सरकार बना चुकी है और अभी भी राज्य में भाजपा का ही मुख्यमंत्री है। वहीं पुड्डुचेरी में गठबंधन के साथ भाजपा सत्ता में है। लेकिन दक्षिण भारत के अन्य चार राज्य - तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश अभी भी पार्टी के लिए सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है जहां भाजपा का विजयी रथ बार-बार जाकर रुक जाता है।
लेकिन देश की तेजी से बदल रही राजनीतिक परिस्थिति के मुताबिक, 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिण भारत के इन प्रदेशों का महत्व काफी बढ़ गया है।
भाजपा के पास केवल 29 सीटें हैं
इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुड्डुचेरी मिलकर लोक सभा में 130 सांसद भेजते हैं जिसमें से फिलहाल 29 सीटें ही भाजपा के पास हैं। इसमें से 25 सीटें उसे अकेले कर्नाटक से मिली हैं और तेलंगाना से उसके पास 4 सीट है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और पुडुचेरी में भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है।
कर्नाटक में झोंकी पूरी ताकत
यही वजह है कि, 2024 लोक सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा एक बार फिर से दक्षिण भारत में अपनी पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है। कर्नाटक में 10 मई को विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं और राज्य में इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
150 सीट जीतने का लक्ष्य
भाजपा कर्नाटक में 150 सीटों पर जीत हासिल करने के लक्ष्य के साथ चुनाव लड़ रही है। वहीं तेलंगाना में इस साल के अंत में विधान सभा चुनाव होना है जिसे लोक सभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में भाजपा ने केसीआर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
लोकप्रिय चेहरों को पार्टी में शामिल किया
वहीं भाजपा तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में भी पार्टी संगठन को लगातार मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए एक तरफ जहां पार्टी अपने सबसे लोकप्रिय चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा कर रही है तो वहीं इसके साथ ही मिशन दक्षिण भारत के तहत पार्टी ने अन्य दलों के महत्वपूर्ण नेताओं को भी अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है।
दक्षिण भारत के लगातार दौरे पर भाजपा के दिग्गज
प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के तमाम दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री लगातार दक्षिण भारत के इन राज्यों का दौरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को भी तेलंगाना और तमिलनाडु का दौरा कर राज्य की जनता को करोड़ों रुपये की विभिन्न महत्वपूर्ण परियोजनाओं की सौगात दी। वहीं दूसरी तरफ पार्टी पिछले तीन दिनों से लगातार इन राज्यों के महत्वपूर्ण नेताओं को दिल्ली में पार्टी में शामिल करवा कर महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देने का भी प्रयास कर रही है।
कांग्रेस को राजनीतिक झटका
6 अप्रैल को कांग्रेस के दिग्गज नेता, केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और मनमोहन सिंह सरकार में रक्षा मंत्री रह चुके एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी, 7 अप्रैल को अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी और 8 अप्रैल को आजाद भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल और स्वतंत्रता सेनानी सी. राजगोपालाचारी के परपोते एवं तमिलनाडु कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता रह चुके सीआर केसवन को पार्टी में शामिल करवा कर भाजपा ने दक्षिण भारत से उम्मीदें लगाए कांग्रेस को राजनीतिक झटका देने का प्रयास किया।
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