Thursday, November 21, 2024
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Lok Sabha Election 2024: कभी कांग्रेस का गढ़ रही नागपुर लोकसभा सीट पर अब बदल चुके हालात

आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है और यह लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन 2014 के चुनावों में नितिन गडकरी ने यहां का रुख पूरी तरह से बदल दिया और अब यह सीट बीजेपी की सबसे मजबूत पकड वाली सीटों में से एक है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: February 26, 2024 15:28 IST
Lok Sabha Election 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV नागपुर लोकसभा सीट

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव का मंच सज चुका है। पार्टियों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। गठबंधन हो रहे हैं और चुनाव में उतरने के लिए सभी बेसब्र हैं। वहीं चुनाव से पहले ही महाराष्ट्र की कई लोकसभा सीटों पर चुनावी माहौल बन चुका है। इन्हीं में से एक सीट राज्य की नागपुर लोकसभा सीट है। यहां से मौजूदा समय में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नीतिस गडकरी सांसद हैं, लेकिन यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। बता दें कि नागपुर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भी है।

नागपुर लोकसभा सीट पर 1952 से 2019 तक 12 बार कांग्रेस के सांसद रहे हैं। वहीं एक बार निर्दलीय, एक बार आल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक और तीन बार बीजेपी के सांसद रहे हैं। 1998 से 2014 तक यहां से कांग्रेस के विलास मुक्तेमवार सांसद थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नितिन गडकरी ने उन्हें मात देकर सीट हथिया ली। इसके बाद 2019 में भी वह ही यहां से सांसद चुनकर दिल्ली पहुंचे और उम्मीद की जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी गडकरी को इसी सीट से अपना उम्मीदवार बनाएगी।

ओबीसी, एससी और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्‍व 

नागपुर लोकसभा सीट पर ओबीसी, एससी और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है। इस सीट पर कुल 80 फीसदी मतदाता ओबीसी, एससी और मुस्लिम समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं। उधर, गडकरी ब्राह्मण हैं। जातिगत समीकरण में फिट नहीं होने के बाद भी कांग्रेस में आपसी मतभेद और अपनी विकास की छवि के कारण गडकरी विदर्भ क्षेत्र की इस सबसे महत्‍वपूर्ण सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं 2019 के चुनावों में यहां 40,24,197 पहुंच गई थी। इस सीट पर युवा मतदाताओं की संख्या ज्यादा है।

2019 का चुनावी परिणाम 

2019 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने नितिन गडकरी को एक बार फिर से इसी सीट पर उतारा। पार्टी को भरोसा था कि गडकरी अपने काम के दम पर चुनावों में भारी अंतर से जीतेंगे। उन्होंने पार्टी का भरोसा कायम भी रखा और दो लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतकर दोबारा सांसद चुने गए थे। इन चुनावों में उन्हें 660,221 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस ने उनके खिलाफ उनके ही शिष्य कहे जाने वाले नाना पटोले को मैदान में उतारा था। पटोले भाजपा के नेता रह चुके हैं और गडकरी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। वे भाजपा के पूर्व सांसद भी रह चुके हैं। उन्हें 4,44,212 ही मत मिल सके।

2014 में गडकरी ने कांग्रेस ने छीना था उसका गढ़ 

वहीं इससे पहले 2014 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को नागपुर का मुश्किल किला फतह करने की जिम्मेदारी सौंपी। यह सीट कांग्रेस का गढ़ थी। इस लिहाज से यहां जंग मुश्किल थी और इस जंग को नितिन गडकरी ने बड़ी ही मेहनत से लड़ा और कांग्रेस को 3 लाख वोटों से मात दी। इन चुनावों में गडकरी को 5,87,767 वोट मिले थे और कांग्रेस के विलास मुत्‍तेमवार को 3,02,939 वोट मिले। वहीं, बसपा को (96433 वोट) तीसरे और आम आदमी पार्टी (69081 वोट) चौथे नंबर पर रही थी।   

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