सुप्रीम कोर्ट ने आज से अपनी पहली विशेष लोक अदालत शुरू की। इस लोक अदालत के जरिए सुप्रीम कोर्ट की कोशिश है कि जो भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले हैं, उन पर जल्दी सुनवाई की जाए। आज से 3 अगस्त तक रोजाना लोक अदालत चलेंगे। चीफ जस्टिस डी वाई.चंद्रचूड़ ने इस पर अपने अनुभव शेयर किया है।
चीफ जस्टिस ने बताए अपने अनुभव
आज चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस पर जानकारी देते हुए कहा, "इस पूरे हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 7 बेंचों द्वारा लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। आज हमारा अनुभव यह रहा कि यह एक शानदार सफलता थी। लोक अदालत में बार, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का सहयोग है, तथा हाई कोर्ट्स, राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों द्वारा व्यापक जमीनी कार्य किया गया है। इसका उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों का निपटारा करना है। लोगों को यह एहसास नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट में छोटे-छोटे मामले कैसे आते हैं, इसलिए हमने सेवा विवाद, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, मोटर दुर्घटना दावा मामले, चेक अनादर मामले जैसे मामलों को चुना हैं।
संस्थागत होने की जताई उम्मीद
उन्होंने आगे कहा कि न्यायाधीशों के साथ लोक अदालत पैनल के हिस्से के रूप में बार सदस्यों की उपस्थिति ने पूरे समाज में यह सही संदेश दिया है कि हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं, खासकर इन छोटे-छोटे मामलों में शामिल नागरिकों के लिए। मुझे उम्मीद है कि इस लोक अदालत के साथ यह अब भविष्य में सुप्रीम कोर्ट में संस्थागत हो जाएगा।"
लोक अदालत का क्या है उद्देश्य?
सुप्रीम कोर्ट की इस विशेष लोक अदालत का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों की संख्या में कमी लाना है। लोक अदालत 29 जुलाई से 3 अगस्त तक आयोजित की जाएगी। लोक अदालत प्रतिदिन दोपहर 2 बजे के बाद आयोजित की जाएगी और इसमें मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश, एक वरिष्ठ अधिवक्ता और एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड शामिल होंगे।
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