नई दिल्ली: दिल्ली के लालकिले पर पहली एक गूंज सुनाई दे रही है और ये गूंज है ओंकार की। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लाल किले में एक लाइट ऐंड साउंड शो का उद्घाटन किया और इस शो को जय हिंद नाम दिया गया, जिसमें लेजर लाइट से लाल किले पर ओम की आकृति को अंकित किया गया है। लाइट एंड साउंड शो जबसे शुरू हुआ है पूरा राजनीतिक माहौल हो गया है। इस बार के शो की खासियत ये थी कि, इसमें मुगलों का इतिहास या मुगल शासकों का महिमामंडन नहीं किया गया। कांग्रेस ने लाइट एंड शो से नेहरू की तस्वीर और कई तथ्य गायब करने का आरोप लगाया है।
किसी ने नहीं सोचा था कि मुगलों की निशानी दिल्ली के लाल किले के प्रांगण में वेदमंत्रों का ऐसे पाठ होगा। मुगलिया सल्तनत के प्रतीक लाल किले की दीवारों से ऐसे ओंकार की ध्वनि गुंजायमान होगी। सच तो ये है कि ये सिर्फ मुगलों की निशानी भर नहीं है, यहां कई और निशानियां है जिसकी न जाने कितनी कहानियां है जो लाल किले की इन्हीं दीवारों में कहीं गुम हो गई थीं। उन्हें उस तरह सुनाया नहीं गया और ना लिखा गया जिसकी वो हकदार थी।
सिर्फ मुगलों की नहीं..लालकिले की और भी कहानी है
आपको बता दें कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी लाल किले से पंच प्रण में गुलामी की मानसिकता से आजाद होने की बात कही थी तो उन्हीं कहानियों का जिक्र किया था जो सिर्फ मुगलिया और अग्रेंजों की लिखी कहानी तक सीमित नहीं थी। क्योंकि ये लालकिला शाहजहां का बनाया लाल पत्थर की ढांचा भर नहीं है या फिर सिर्फ मुगलिया सल्तनत की कहानी नहीं है।
- यह गुरु तेगबहादुर के बलिदान की निशानी है। वह 1675 में कट्टर और धर्मांध औरंगजेब के आगे नहीं झुके। उन्होंने इस्लाम कबूल नहीं किया और बलिदान होना स्वीकार किया।
- इसी लालकिले में छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर मुगल बादशाह आलमगीर को दिल्ली के तख्त पर बैठाने वाले मराठों का इतिहास भी लालकिले की इन्हीं दीवारों पर लिखा है लेकिन लाल किले से मराठों की वीर गाथा अब सुनाई दे रही है।
- लालकिला 1857 के गदर का भी गवाह रहा है जब मेरठ से आए सैनिकों ने बादशाह से क्रांति का नेतृत्व करने की इल्तजा की हो, बादशाह का गद्दीनशीन होना, बादशाह का दरबार लगाना और फिर क्रांति के दमन के बाद बादशाह पर चलाया गया मुकदमा हो।
- नवंबर 1945 में आजाद हिंद फौज के गिरफ्तार सैनिकों और अफसरों पर मुकदमें चलाए गए जिसमें एक हिंदू,एक मुसलमान और एक सिक्ख था, जिनके नाम मेजर शहनवाज खाँ, कर्नल प्रेम सहगल और कर्नल गुरुदयाल सिंह ढिल्लो थे
लाइट एंड साउंड शो के उद्घाटन के बाद कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी अपने मतलब का इतिहास बता रही है। आरोप है कि लाल किले के लाइट एंड साउंड शो में मराठों और आजाद हिंद फौज की गाथा तो सुनाई गई लेकिन जवाहर लाल नेहरू की बात छुपाई गई।