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LGBTQ Community: 'समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने पर ही बच्चा गोद ले सकेंगे कपल', पढ़ें पूरा मामला

LGBTQ Community एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय के सदस्य दंपति के रूप में बच्चा तभी गोद ले पाएंगे, जब देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाए।

Reported By : PTI Edited By : Malaika Imam Published : Aug 09, 2022 19:41 IST, Updated : Aug 09, 2022 19:43 IST
LGBTQ Community
Image Source : AP LGBTQ Community

Highlights

  • समलैंगिक जोड़ों के विवाह को अभी मान्यता नहीं मिली
  • वैवाहिक संबंध वाले जोड़ा ही बच्चे को गोद ले सकते हैं
  • 'ऐसे में गोद लिए गए बच्चों पर दूरगामी परिणाम होगा'

LGBTQ Community: विशेषज्ञों का कहना है कि कानून व्यक्ति के यौन झुकाव के आधार पर बच्चा गोद लेने पर रोक नहीं लगाता है, लेकिन एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय के सदस्य दंपति के रूप में बच्चा तभी गोद ले पाएंगे, जब देश में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाए, क्योंकि बिना शादी के साथ रहने वाले (लिव-इन) जोड़ों को देश में बच्चा गोद लेने की इजाजत नहीं है। 

विधि एवं कार्मिक संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम व किशोर न्याय अधिनियम में सामंजस्य की जरूरत है, ताकि बच्चों को गोद लेने के संबंध में एक समान और समग्र कानून लाया जा सके, जिसके दायरे में सभी धर्म और LGBTQ (समलैंगिक, ट्रांसजेंडर आदि सभी) समुदाय आते हों।

भारत में समलैंगिकता को 2018 में अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया

विशेषज्ञों ने समिति की इसी सिफारिश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये सिफारिशें प्रगतिशील हैं, वहीं एलजीबीटी विवाह को मान्यता और लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को बच्चा गोद लेने की अनुमति देने के मुद्दों से भी निपटना होगा। भारत में समलैंगिकता को 2018 में अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था, लेकिन समलैंगिक जोड़ों के विवाह को अभी तक मान्यता नहीं मिली है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत भी कोई एक व्यक्ति या स्थायी वैवाहिक संबंध में रहने वाला जोड़ा ही किसी बच्चे को गोद ले सकता है। 

अधिवक्ता और 'एचएक्यू: सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स' से जुड़ी तारा नरुला ने कहा कि यौन झुकाव के आधार पर कानून में बच्चा गोद लेने की अनुमति या निषेध नहीं है, इसलिए कोई भी व्यक्ति किशोर न्याय अधिनियम या हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम के तहत बच्चे को गोद ले सकता है। उन्होंने कहा, "लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है, जो समलैंगिक विवाह या लिव-इन संबंधों में बच्चे को गोद लेने की अनुमति देता हो।" 

'...तो एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ भेदभाव समाप्त हो जाएगा'

नरुला ने कहा कि इसलिए एलजीबीटीक्यू समुदाय से ताल्लुक रखने वाला कोई व्यक्ति एकल अभिभावक के रूप में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) में बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकता है। वकीलों और बाल अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, यदि भारत में समलैंगिक जोड़ों को विवाह की कानूनी अनुमति मिल जाती है, तो एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ भेदभाव समाप्त हो जाएगा और वे विवाहित जोड़े के रूप में गोद ले सकेंगे। 

बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली ने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि लोग इस बारे में बात कर रहे हैं, क्योंकि इसका गोद लिए गए बच्चों पर दूरगामी परिणाम होगा। 'सेव द चिल्ड्रन-इंडिया' में मुख्य कार्यक्रम अधिकारी अनिंदित रॉय चौधरी ने बच्चों को गोद लेने के लिए एक समान संहिता की संसदीय समिति की सिफारिश की सराहना की। 

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