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Encounter Laws: भारत में एनकाउंटर के क्या हैं नियम और कानून, पढ़ें SC और NHRC के दिशानिर्देश

इस किताब में बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के कारण राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना में चुनौती का सामना करना पड़ता है तो पुलिस उक्त व्यक्ति को अपनी हिरासत में तब तक रख सकती है जबतक आरोपों की जांच न हो जाए।

Written By: Avinash Rai
Published : Apr 14, 2023 12:29 IST, Updated : Apr 14, 2023 12:29 IST
Laws For Encounter In India What are the rules and regulations of encounter in India read the guidel
Image Source : INDIA TV भारत में एनकाउंटर के क्या हैं नियम और कानून

Laws For Encounter In India: माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के के एनकाउंटर के बाद यूपी सरकार के खिलाफ लगभग सभी विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया है। किसी ने इस एनकाउंटर को फेक बताया तो किसी ने यहां तक कह दिया कि भाजपा सरकार धर्म देखकर गोली मारती है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठने लगा है कि आखिर एनकाउंटर को लेकर क्या कोई कानूनी नियम हैं या नहीं। क्योंकि बीते कल इंडिया टीवी को दिए अपने इंटरव्यू में एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया था कि कानूनी प्रक्रिया के तहत ही इस एनकाउंटर को अंजाम दिया गया है। अगर असद और बाकी अपराधी सरेंडर कर देतें तो इनका एनकाउंटर नहीं होता। ऐसे में अपने इस आर्टिकल में हम आपको कुछ कानूनी जानकारियां देंगे जो किसी भी व्यक्ति के एनकाउंटर के लिए अहम होते हैं। जिनका पालन लगभग हर सरकार व प्रशासनिक अधिकारी को करना होता है। चलिए जानते हैं एनकाउंटर संबंधित क्या हैं दिशानिर्देश।

IPC और CRPC क्या कहती है

भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता जो कि भारत में कानून व्यवस्था की किताब है। इस किताब में कहीं भी एनकाउंटर से संबंधित किसी परिस्थिति या हालात का जिक्र नहीं है। हालांकि पुलिस को कुछ अधिकार प्राप्त हैं जिसके तहत पुलिस अपने क्षेत्र में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए काम करती है। इस किताब में बताया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के कारण राज्य में कानून और व्यवस्था को बनाए रखना में चुनौती का सामना करना पड़ता है तो पुलिस उक्त व्यक्ति को अपनी हिरासत में तब तक रख सकती है जबतक आरोपों की जांच न हो जाए। 

कब होता है एनकाउंटर

पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने को लेकर कई हालातों में एनकाउंटर शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार देखने को मिलता है कि पुलिस किसी अपराधी को हिरासत में लेने के लिए पहुंचती है लेकिन अपराधियों द्वारा पुलिस के सामने सरेंडर करने से अपराधी मना कर देते हैं और कई बार वे पुलिस पर जानलेवा हमला तक करते हैं। ऐसे में जवाबी कार्रवाई के दौरान पुलिस भी अपराधी पर काबू पाने के लिए बल प्रयोग करती है। इस स्थिति में इसे एनकाउंटर कहा जाता है। हालांकि देश में एनकाउंटर के लिए कोई भी प्रत्यक्ष कानून नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग द्वारा एनकाउंटर से संबंधित कुछ दिशा निर्देश जरूर तय किए गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार की माने तो एनकाउंटर को पुलिस द्वारा अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए जब अपराधी सरेंडर करने को तैयार नहीं है और वह पुलिस पर जानलेवा हमला करने को आतुर है। 

एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट का दिशानिर्देश

- पुलिस को किसी भी प्रकार की खुफिया जानकारी मिलने पर पुलिस द्वारा एक्शन लेने से पहले इस जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में दर्ज करना अनिवार्य है। 

- पुलिस की कार्रवाई में अगर किसी व्यक्ति की जान जाती है तो तत्काल प्रभाव से इस घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक एफआईआर दर्ज की जाए।  
- पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पूरे मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। 
- यह जांच सीआईडी, दूसरे पुलिस स्टेशन की टीम द्वारा की जानी चाहिए जिसका पूरा लिखित विवरण तैयार करना होगा। 
- पुलिस एनकाउंटर की परिस्थिति में स्वतंत्रत मिजिस्ट्रेट जांच बहुत जरूरी है साथ ही यह रिपोर्ट मिजिस्ट्रेट के साथ शेयर करना होगा। 
- एनकाउंटर के बाद की पूरी घटना का विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना होगा जो लिखित होगा। इसके बाद यह डिटेल स्थानीय कोर्ट के साथ साझा करनी होगी। 

मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देश?

- एनकाउंटर से संबंधित मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देश के मुताबिक एनकाउंटर की सूचना मिलने पर स्थानीय थाने को तुरंत मामले की एफआईआर दर्ज करनी होगी। 
- एनकाउंटर में मारे गए आरोपी से संबंधित हर तथ्य और परिस्थिति का एक डिटेल नोट तैयार करना होगा जिसमें हर बारीक कद की जानकारी शामिल होनी चाहिए। 
- एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों व एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच सीआईडी से कराई जानी चाहिए। 
- एनकाउंटर की जांच 4 महीने में पूरी हो जानी चाहिए। अगर इस जांच में पुलिस अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए। 
- घटना की मिजिस्ट्रेट जांच तीन महीने पूरा हो जाना चाहिए। साथ ही एनकाउंटर की सूचना मारे गए व्यक्ति के परिजनों को देना होगा। 

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