Thursday, September 19, 2024
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SC-ST आरक्षण के 'क्रीमी लेयर' पर क्या बोले कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल? विपक्ष पर लगा दिया ये बड़ा आरोप

अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आरक्षण के क्रीमी लेयर के मुद्दे पर पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक भी हुई थी। केंद्र सरकार ने इस मसले पर अपना रुख साफ कर दिया था। वहीं, अब कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का बयान सामने आया है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Updated on: August 11, 2024 13:54 IST
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO-PTI कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

देश में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के क्रीमी लेयर आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। कानून मंत्री ने विपक्ष पर SC और ST के बीच ‘क्रीमी लेयर’ के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि बीआर आंबेडकर के दिए संविधान में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है। 

अंबेडकर के संविधान का होगा पालन

मेघवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और एनडीए सरकार आंबेडकर के संविधान का पालन करेगी। एससी तथा एसटी के लिए उसमें प्रदत्त आरक्षण व्यवस्था को जारी रखेगी। ‘क्रीमी लेयर’ का तात्पर्य एससी एवं एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है, जो उच्च आय वर्ग में आते हैं। 

क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट ने की महज एक टिप्पणी

मेघवाल ने कहा कि विपक्ष जानता है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘क्रीमी लेयर’ पर महज एक टिप्पणी की है, लेकिन वह फिर भी लोगों के बीच भ्रम पैदा करने का प्रयास कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को कहा था कि ‘क्रीमी लेयर’ के आधार पर एससी और एसटी को आरक्षण देने से इनकार करने का विचार निंदनीय है। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के उस हिस्से को निष्प्रभावी करने के लिए संसद में एक कानून लाना चाहिए था, जो इस मुद्दे के बारे में बात करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दिया कोई फैसला

मेघवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर राज्य चाहते हैं, तो वे उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने क्रीमी लेयर पर कोई फैसला नहीं दिया है, यह महज एक टिप्पणी है। कानून मंत्री मेघवाल ने विपक्ष को याद दिलाया कि आदेश और टिप्पणी के बीच अंतर होता है। 

क्रीमी लेयर के आरक्षण पर क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट?

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से व्यवस्था दी थी कि राज्यों को अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जतियों को आरक्षण दिया जाए। कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई ने एक अलग लेकिन सहमति वाला फैसला लिखा, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने बहुमत के फैसले से कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है, ताकि अधिक वंचित जातियों के लोगों के उत्थान के लिए आरक्षित श्रेणी के भीतर कोटा प्रदान किया जा सके। 

भाषा के इनपुट के साथ

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