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उत्तराखंड के जोशीमठ में खतरनाक तरीके से धंस रही जमीन, 500 मकानों में आईं दरारें; कई लोगों ने घर छोड़े

जोशीमठ में 500 घरों में दरारें पड़ गई हैं, लोग डरे हुए हैं। हाल ये है कि 10 से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब राज्य सरकार ने शहर को भू-धंसाव से बचाने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Dec 27, 2022 15:56 IST, Updated : Dec 27, 2022 15:56 IST
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Image Source : IANS जोशीमठ में कई घरों में दरारें आईं।

चमोली: जोशीमठ चारधाम यात्रा का प्रमुख पड़ाव है। चीन सीमा से सटे चमोली जिले के इस इलाके में लगातार भू-धंसाव हो रहा है जिसके चलते स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। यहां 500 घरों में दरारें पड़ गई हैं, लोग डरे हुए हैं। हाल ये है कि 10 से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब राज्य सरकार ने शहर को भू-धंसाव से बचाने के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग को ड्रेनेज प्लान और इसकी डीपीआर बनाने को कहा गया है।

जोशीमठ का कराया था भूगर्भीय सर्वेक्षण

सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूरा कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं। जोशीमठ पर मंडराते संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने इसी साल वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था। सितंबर में वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी।

वैज्ञानिकों ने दिए थे ये सुझाव-

  • वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया था कि शहर के ड्रेनेज और सीवर सिस्टम पर ध्यान दिया जाए।
  • नदी से हो रहे भू-कटाव को रोका जाना चाहिए।
  • निचली ढलानों पर रह रहे परिवारों का विस्थापन होना चाहिए।
  • बड़ी संरचनाएं क्षेत्र के लिए खतरा हो सकती हैं।
  • प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाए।

जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद शुरू
शासन ने वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की कवायद शुरू कर दी है। इसके अलावा क्षेत्र का जियो टेक्निकल अध्ययन, प्रभावितों के पुनर्वास समेत अन्य बिंदुओं पर भी जल्द ही कदम बढ़ाए जाएंगे। 'सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा' ने हाल में अधिकारियों के साथ इस विषय पर मंथन किया था। सरकार शहर का जियो टेक्निकल अध्ययन भी कराएगी। इसके आधार पर प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संरचनाओं के निर्माण पर रोक लगाई जा सकती है।

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