Highlights
- चारा घोटाले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला आ गया
- लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने 5 साल जेल और 60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है
- चारा घोटाले से जुड़े पांचवे मामले में बड़ा फैसला आया है
चारा घोटाले से जुड़े पांचवे मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव को दोषी पाने के बाद 5 साल जेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा उन्हें 60 लाख रुपए का जुर्माना भी भरना होगा। इससे पहले भी चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को सजा हो चुकी है। वह अभी जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में पांचवे मामले में आए फैसले ने उनकी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ा दी हैं।
कब हुआ था सबसे पहले केस दर्ज?
1996 में इस मामले सबसे पहले केस दर्ज हुआ था। 4 केस में लालू को पहले ही सजा हो चुकी है। 1990 से 1992 के बीच 139.35 करोड़ रुपए की निकासी की गई थी। इसमें कई सरकारी गवाह भी हैं। 24 अभियुक्त बरी किये गए हैं। सीबीआई की अदालत ने लालू समेत मामले से जुड़े 99 अभियुक्तों सशरीर अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया था। अभियुक्तों में दस महिलाएं भी शामिल हैं।
डोरंडा कोषागार से हुई अवैध निकासी के मामले में शुरू में कुल 170 आरोपित थे, इनमें 55 आरोपितों की मौत हो चुकी है। फिलहाल ट्रायल में 99 लोग शामिल हैं। इनमें को 24 को बरी कर दिया गया है। साक्ष्य व गवाह के अभाव में इन्हें बरी करार दिया गया है। बरी लोगों में दीनानाथ सहाय, एनुल हक, राजेंद्र पांडेय, साकेत शामिल हैं।
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लालू प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं। 950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जमानत पर बाहर हैं लालू-
उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है। चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया। सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया। एजेंसी ने प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किए।
सितंबर 2013 में निचली अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में प्रसाद, मिश्रा और 45 अन्य को दोषी ठहराया और प्रसाद को रांची जेल भेज दिया गया। दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय ने मामले में प्रसाद को जमानत दे दी, जबकि दिसंबर 2017 में सीबीआई अदालत ने उन्हें और 15 अन्य को दोषी पाया और उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया।