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जन्मदिन विशेष: अंग्रेजों की लाठी से बुरी तरह घायल हुए थे लाला लाजपत राय, भगत सिंह ने ऐसे लिया था बदला

फ्रीडम फाइटर, राजनेता, इतिहासकार, वकील और लेखक रहे लाला लाजपत राय की आज जयंती है। अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्त करवाने के लिए लाला ने अहम योगदान दिया था। अंग्रेजों की लाठियों के हमले में वह बुरी तरह घायल हुए थे, जिसके बाद उनका निधन हो गया था।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: January 28, 2024 7:36 IST
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary- India TV Hindi
Image Source : FILE लाला लाजपत राय की जयंती आज

नई दिल्ली: अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्त करवाने के लिए लाला लाजपत राय ने अहम योगदान दिया था। वह फ्रीडम फाइटर होने के साथ-साथ एक कुशल राजनेता, इतिहासकार, वकील और लेखक भी थे। वह कांग्रेस के गरम दल के नेता थे और उन्हें पंजाब केसरी के नाम से जाना जाता था। आजादी के नायक भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद समेत तमाम क्रांतिकारी लाला लाजपत राय को बहुत मानते थे। 

लाला ने ही नौजवानों में देश की आजादी की आग पैदा की और उनका सहयोग भी किया। आज लाला लाजपत राय की जयंती है। उनका जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले के अग्रवाल परिवार में हुआ था।

अंग्रेजों ने लाला पर बरसाईं थीं लाठियां 

 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक विशाल प्रदर्शन चल रहा था। इसमें लाला लाजपत राय ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान अंग्रेज सिपाहियों ने उनपर लाठियां बरसाईं थीं, जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे। इस दौरान लाला ने कहा था, 'मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।’

साइमन कमीशन क्या था?

दरअसल अंग्रेजों ने 8 नवम्बर 1927 को भारत में संविधान सुधारो के अध्ययन के लिए एक कमीशन का गठन किया था, जिसे साइमन कमीशन का नाम दिया गया। इसमें सात ब्रिटिश सांसद थे लेकिन कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। इस कमीशन को इसलिए बनाया गया था कि मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार की जांच करे।

3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत आया, जिसका इंडियन नेशनल कांग्रेस समेत पूरे देश ने विरोध किया। इस दौरान साइमन कमीशन वापस जाओ के नारे भी लगे। पंजाब में लाला लाजपत राय इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। लेकिन लाहौर पुलिस के एसपी जेम्स ए स्कॉट के नेतृत्व में लाठीचार्ज कर दिया गया, जिसमें लाला को बहुत चोटें आईं और वह अस्पताल में 18 दिनों तक भर्ती रहे। 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया। 

लाला पर हुए हमले का भगत सिंह ने लिया था बदला

लाला लाजपत की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह समेत तमाम क्रांतिकारियों ने अंग्रेज अधिकारी जेम्स ए स्कॉट की हत्या की प्लानिंग की। हालांकि पहचान में गलती होने की वजह से भगत सिंह और राजगुरू ने स्कॉट की जगह दूसरे पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स को 17 दिसंबर 1928 को गोली मार दी। सांडर्स उस समय लाहौर का एसपी था।

इस तरह क्रांतिकारियो ने अंग्रेजों को ये मैसेज दे दिया कि लाला लाजपत राय की मौत पर देश चुप नहीं बैठेगा और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। 

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