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Lakhimpur Kheri violence: 'गवाहों को प्रभावित कर सकता है आशीष मिश्रा...' हाईकोर्ट ने की जमानत याचिका नामंजूर

Lakhimpur Kheri violence: जस्टिस कृष्णा पहल की पीठ ने आशीष की जमानत याचिका नामंजूर करते हुए कहा कि अभियुक्त राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह जमानत पर रिहा होने की स्थिति में गवाहों को प्रभावित करके मुकदमे पर असर डाल सकता है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@only_Shailendra
Published on: July 26, 2022 22:05 IST
High Court rejects Ashish Mishra bail plea- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO High Court rejects Ashish Mishra bail plea

Highlights

  • केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे हैं आशीष मिश्रा
  • 10 फरवरी को मिली थी आशीष को जमानत
  • 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में गई थी 8 लोगों की जान

Lakhimpur Kheri violence: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने लखीमपुर खीरी में हुए तिकोनिया कांड मामले के मुख्य अभियुक्त व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा 'मोनू' की जमानत याचिका मंगलवार को नामंजूर कर दी। कोर्ट ने अपने आदेश में पूरे प्रकरण को लेकर मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मीडिया आजकल अधकचरी सूचना के आधार पर कंगारू कोर्ट चला रहा है।

आशीष की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने की थी खारिज

जस्टिस कृष्णा पहल की पीठ ने आशीष की जमानत याचिका नामंजूर करते हुए कहा कि अभियुक्त राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह जमानत पर रिहा होने की स्थिति में गवाहों को प्रभावित करके मुकदमे पर असर डाल सकता है। तिकोनिया कांड मामले में हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष को जमानत दे दी थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट को निर्देश दिए थे कि वह पीड़ित पक्ष को पर्याप्त मौका देकर जमानत याचिका पर फैसला सुनाए। जिसके बाद जस्टिस पहल ने लंबी सुनवाई की और 15 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामले में आशीष की संलिप्तता, गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका, अपराध की गंभीरता और कानूनी व्यवस्थाओं पर गौर करते हुए उसे जमानत नहीं दी जा सकती। 

"दोनों पक्षों ने धारा-144 का पालन नहीं किया"

कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान मुताबिक, घटनास्थल पर आशीष का 'थार गाड़ी' से बाहर निकलकर आना उसके खिलाफ जाता है। कोर्ट ने घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यदि दोनों पक्षों ने थोड़ा संयम दिखाया होता, तो 8 बेशकीमती जानें न गई होतीं। घटनास्थल पर किसानों के उग्र व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन ने क्षेत्र में CRPC की धारा-144 लागू कर रखी थी जो अभियुक्त मोनू, उसके साथियों के साथ-साथ पीड़ित पक्ष किसानों पर भी लागू होती थी किन्तु दोनों ही पक्षों ने उसका पालन नहीं किया। सुनवाई के दौरान आशीष मोनू व पीड़ित पक्ष ने अपनी-अपनी ओर से घटना से जुड़ी तमाम तस्वीरें व वीडियो पेश किए गए थे। इन पर कोर्ट ने कहा कि जनहित से जुड़े मामलों को रेखांकित करना मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है, किन्तु कई बार देखने में आता है कि व्यक्तिगत विचार खबर पर हावी हो जाते हैं, जिससे सत्य पर विपरीत असर पड़ता है।

गई थी 8 लोगों की जान

कोर्ट ने कहा कि अब तो इलेक्ट्रानिक,सोशल मीडिया और खासकर टूल किट के कारण समस्या और भी बढ़ गयी है। कोर्ट ने कहा कि देखने में आता है कि आजकल मीडिया कंगारू कोर्ट चला रही है, और वह न्यायिक पवित्रता की हदें लांघ रही है जैसा कि उसने जेसिका लाल, इंद्राणी मुखर्जी और आरूषी तलवार के मामले में किया था। कोर्ट ने इस मामले के सह अभियुक्तों लवकुश, अंकिस दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जियां पहले ही 9 मई 2022 को खारिज कर दी थीं। पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव में एक कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का किसानों ने विरोध किया था। इस दौरान हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में आशीष मुख्य अभियुक्त है।

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