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Madrasa:​ असम से लेकर उत्तर प्रदेश तक 'मदरसों' पर बवाल, जानिए सबसे पहले दुनिया में किसने रखी इसकी नींव

Madrasa:​ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया है। इसके कुछ दिनों बाद, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कई इस्लामिक मौलवियों के नेतृत्व में मंगलवार को दिल्ली में एक बैठक की और सरकार को समर्थन दिया।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: September 07, 2022 14:18 IST
Madrasa- India TV Hindi
Image Source : PTI Madrasa

Highlights

  • मदरसा हमेशा विवादों में रहता हैं
  • लगभग 4 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं
  • इस समय राज्य में कुल 16,461 मदरसे हैं

Madrasa:​ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया गया है। इसके कुछ दिनों बाद, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कई इस्लामिक मौलवियों के नेतृत्व में मंगलवार को दिल्ली में एक बैठक की और सरकार को समर्थन दिया। मौलाना महमूद मदनी ने राज्य में बिना लाइसेंस वाले मदरसों का पता लगाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक बुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 सितंबर को घोषणा की थी कि वह राज्य के गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करेगी ताकि कई शिक्षकों और छात्रों, पाठ्यक्रम और किसी भी गैर-सरकारी संगठन से इसकी संबद्धता जैसी जानकारी का पता लगाया जा सके। 

बुनियादी सुविधाओं के बारे में जांच 

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा था कि सर्वेक्षण राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाएगा, जो मदरसों में छात्रों को प्रदान की जा रही बुनियादी सुविधाओं की जांच करना चाहता है। मंत्री ने आगे कहा कि सर्वेक्षण से मदरसे का नाम और इसे संचालित करने वाली संस्था का नाम, चाहे वह निजी या किराए के भवन में चलाया जा रहा हो, और पीने के पानी, फर्नीचर की बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी जैसे अन्य विवरण इकट्ठा करने में मदद मिलेगी। जिसमें बिजली की आपूर्ति, और शौचालय भी शामिल होंगे। इससे पहले दिन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था। इसने कहा कि सरकार जानबूझकर अल्पसंख्यक संस्थानों को निशाना बना रही है।

क्या सरकार मुस्लिमों का निशाना बना रही हैं?
एआईएमपीएलबी के एक कार्यकारी सदस्य कासिम रसूल इलियास ने कहा कि उत्तर प्रदेश और असम में मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। कानून के तहत अल्पसंख्यक संस्थाओं को संरक्षण मिलने के बावजूद ऐसा किया जा रहा है। असम में सरकार कुछ छोटे मदरसों को बुलडोज़ करने के लिए चली गई है जबकि अन्य को स्कूलों में परिवर्तित कर रही है। यदि मुद्दा धार्मिक शिक्षा को प्रतिबंधित करने और इसके बजाय धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को बढ़ावा देने का है, तो सरकार गुरुकुलों के खिलाफ समान कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।

इलियास ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में मदरसों की कुल संख्या का कोई स्पष्ट अनुमान नहीं है। उन्होंने सच्चर कमेटी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया और कहा कि लगभग 4 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समय राज्य में कुल 16,461 मदरसे हैं। राज्य के कुल मदरसों में से 560 मदरसों को सरकारी सब्सिडी मिलती है लेकिन नए मदरसों को पिछले छह वर्षों से अनुदान सूची से बाहर रखा गया है।

मदरसों पर क्यों लगते हैं आरोप 
मदरसा हमेशा विवादों में रहता हैं। हाल ही में असम कुछ मदरसों का लिंक अल-कायदा से पाया गया है। राज्य के बोंगाईगांव में एक मदरसे के ऊपर कार्रवाई की गई है। जिसके बाद मदरसों के ऊपर बुलडोजर चलाया गया। कई ऐसा नेता है जो आरोप लगाते हैं कि बच्चों को मदरसे में कट्टरपंथी विचार धारा  के प्रति प्रेरित किया जाता है। कई मौके पर सरकार मदरसों को लेकर कार्रवाई भी कर चुकी है। इस संबंध एक समाजसेवी से पुछा कि क्या मदरसा को लेकर क्या सोचते हैं तो उन्होंने नाम न बताने के शर्त पर बताया कि मदरसा की शिक्षाओं का आधुनिक समय में कोई वास्तविक जीवन मूल्य नहीं है। उन्होंने बताया कि तुर्की के राष्ट्रपिता "केमल अतुर्क" ने इसे आधुनिक देश बनाने के लिए तुर्की से मदरसा शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया। इसलिए तुर्की संस्कृति इस्लामी दुनिया में सबसे आगे और आधुनिकहै। और दूसरी ओर अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि जैसे देश हैं जहां मदरसा संस्कृति ने उन देशों के सामाजिक ताने-बाने को खराब कर दिया है और उन्हें कट्टरपंथी इस्लाम का केंद्र बना दिया है। 

पहले मदरसें की नींव 
इतिहासकारों के मुताबिक, 11वीं सदी में इस्लामिक स्कॉलर और सेलिजुक माम्राज्य के मंत्री निजाम अल-मुल्क ने मदरसों की नींव रखी थी। ऐसा माना जाता है कि निजाम ने ईरान और खोरासान के इलाकों में पहली बार मदरसा की जाल तैयार किया था। निजाम ने दुनिया में तेजी से मदरसों में का निर्माण करवाया। जिसके बाद अन्य मुस्लिम देशों ने अपने राज्यों में मदरसे बनवाएं। वहीं कुछ इतिहासकार कहते हैं कि दुनिया का पहला मदरसा सऊदी अरब की सफा पहाड़ी पर बना था। इसमें शिक्षक के रुप में पैगंबर मुहम्मद और उनके समर्थक ही छात्र थे। 

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